सबसे पहले ब्राह्मणों के लिए पकाए गए भोजन को पांच पत्तल में निकालें और सभी पत्तल में भोजन रखकर सभी के अलग-अलग मंत्र बोलते हुए एक-एक भाग पर अक्षत छोड़कर पंचबली समर्पित की जाती है. श्राद्ध में बनाए भोजन को पशुओं को खिलाने से लाभ मिलता है. पितरों द्वारा सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. ब्राह्मणों के लिए पकाए गए भोजन को ग्रास के रूप में निकाला जाता है
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कुत्ते को खिलाए गए भोजन को श्वान बलि कहते हैं. कौए को काक बलि, देव बलि, पिपलीका बलि, गउ बलि कहते हैं. दरअसल, पांच अलग अलग रूप में बलि देने की इस परंपरा को पंचबलि कहते हैं
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कुत्ते के लिए निकाले ग्रास को अलग रखकर उन्हें खिलाया जाता है, वहीं गाय के लिए निकाले ग्रास को गाय को खिलाया जाता है, कौए के लिए निकाले ग्रास को कौए को खिलाया जाता है, देवताओं के लिए निकाले ग्रास को अलग रख दिया जाता है, पिपलीका के लिए निकाले ग्रास को उन्हें अलग से खिलाया जाता है
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पंचबलि के साथ ही श्राद्ध कर्म पूर्ण माना जाता है.श्राद्ध में भोजन का अंश ग्रहण करने वाले इन पांचों जीवों का विशेष महत्व होता है.इसमें कुत्ता जल तत्त्व,चींटी अग्नि,कौवा वायु का,गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक माने गए हैं.
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जीवों को खाना खिलाने से पितरों को संतुष्टि मिलती है, इसलिए पांच जीवों को ब्राह्मण भोज खिलाने का नियम है, इसके बाद ही श्राद्ध का कार्य संपन्न हुआ है ऐसा माना जाता है