Ekadashi Fast Rule: यश-धन और पाप मुक्ति के लिए आज अजला एकादशी का रखें व्रत, नियम और वर्जित चीजें भी जान लें

Written By ऋतु सिंह | Updated: May 15, 2023, 07:55 AM IST

 15 मई अजला एकादशी व्रत

Achala_ Ajala Ekadashi 2023: ज्येष्‍ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि आज है और इस एकादशी को तीन नामों से जानते हैं, अपरा एकादशी, अचला और अजला एकादशी भी कहते हैं.

डीएनए हिंदीः आज ज्येष्‍ठ माह के कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी है और इस एकादशी के नियम और वर्जित चीजों के बारें में भी जान लें, तभी व्रत सफल होगा. अजला एकादशी यानी निर्जला व्रत रखना. जेष्ठ माह में ये व्रत एक तपस्या समान होता है और यही कारण है कि इस व्रत को करने से अपार पुण्य प्राप्त होता है. ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मौजुमदार बताती हैं कि यह व्रत करने से कीर्ति, पुण्य और धन की वृद्धि होती है. यह व्रत ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे पापों से मुक्ति भी मिलती है. 

इस दिन भगवान त्रिविक्रम की पूजा की जाती है. इस एकादशी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति तथा कार्तिक पूर्णिमा स्नान, गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने से जितना फल प्राप्त होता है. 

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एकादशी तिथि आरंभ और पारण समय- Ekadashi date start and Paran time

इस बार ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी का प्रारंभ आज  सुबह 2:46  होगा तथा 16 मई को सुबह 1:03  पर एकादशी तिथि का समापन होगा और इसके बाद पारण किया जा सकता है.

अपरा एकादशी का व्रत कैसे करें | How to fast on Apara Ekadashi?

एकादशी का व्रत दशमी से ही प्रारंभ हो जाता है. सुबह उठकर स्‍नान कर व्रत का संकल्‍प लें और घर के मंदिर में एक वेदी बनाए उस पर सात तरह के धान यानी उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा रखें. उस वेदी पर कलश की स्‍थापना करें, उस पर आम के या अशोक वृक्ष के 5 पत्ते लगाएं. अब भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर रखें और भगवान विष्‍णु को पीले पुष्प, ऋतु फल और तुलसी दल चढ़ाएं. फिर धूप-दीप से आरती करें. शाम को भगवान विष्‍णु की आरती करके फलाहार ग्रहण करें. रात्रि के समय भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें.
अगले दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन कराएं और इच्छानुसार दान-दक्षिणा देकर तत्पश्चात व्रत का पारण करें.

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भगवान श्रीहरि विष्णु इन चीजों का प्रसाद चढ़ाएं- Ekadashi prasad
- ऋतु फल, 
- गुड़, 
- चने की दाल, 
- खरबूजा,
- ककड़ी
- मिठाई. 
 
एकादशी मंत्र- Ekadashi Mantra
 
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय.
- ॐ हूं विष्णवे नम:.
- ॐ विष्णवे नम:
- ॐ नमो नारायण. श्री मन नारायण नारायण हरि हरि. 
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे. हे नाथ नारायण वासुदेवाय..
- ॐ नारायणाय विद्महे. वासुदेवाय धीमहि. तन्नो विष्णु प्रचोदयात्..

एकादशी पर वर्जित हैं ये चीजें

  1. एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन न करें. 
  2. एकादशी पर श्री विष्णु की पूजा में मीठा पान चढ़ाया जाता है लेकिन इस दिन पान आपको नहीं खाना चाहिए. 
  3. इस दिन चावल खाना भी वर्जित है. 
  4. इस दिन अंडे या मांस नहीं खाना चा‍हिए. 
  5. इस दिन मदिरापान नहीं करना चाहिए. 
  6. इस दिन  मसूर की दाल, लहसुन, प्याज, सेम फली,गाजर, शलजम, गोभी, पालक और जौ, बैंगन नहीं खाना चाहिए.
  7. एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन न करें. 
  8. इस दिन वृक्ष से पत्ता तोड़ना वर्जित है. अत: स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें. 
  9. नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें.

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इस व्रत से किन पापों से मिलेगी मुक्ति
इस व्रत को करने से परस्त्रीगमन, झूठी गवाही, झूठ बोलना, झूठे शास्त्र पढ़ना या बनाना, झूठा ज्योतिषी बनना तथा झूठा वैद्य बनना आदि सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। अपरा एकादशी का व्रत तथा भगवान का पूजन करने से मनुष्य सब पापों से छूटकर विष्णुलोक को प्राप्त होता है. 

अपरा एकादशी की कथा- 
 
इस संबंध में प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था. उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी था. वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था. उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया. 
 
इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा. एक दिन अचानक धौम्य नामक ऋषि उधर से गुजरे. उन्होंने प्रेत को देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया. अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा. 
 
ऋषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया. दयालु ऋषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया. इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई. वह ॠषि को धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया. 
 
इस तरह अपरा एकादशी की कथा पढ़ने अथवा सुनने से मनुष्य सब पापों से छूट जाता है. अपरा एकादशी व्रत से मनुष्य को अपार खुशियों की प्राप्ति होती है, धन संपत्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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