डीएनए हिंदी: साल 2023 की शुरूआत रविवार के दिन से हो रही है. 1 जनवरी को रविवार का दिन है. यह दिन सूर्यदेव (Surya Dev) से संबंधित माना जाता है. ऐसे में अगर आप अपने नए साल की शुरूआत सूर्यदेव की पूजा अर्चना (Surya Dev Puja) से करेंगे तो आपको इसका शुभ फल मिलेगा. हर कोई अपने नए साल की शुरूआत शुभ और अच्छी करना चाहता है. आप रविवार के दिन सूर्यदेव को जल चढ़ाकर और सूर्यदेव की पूजा (Surya Dev Puja) कर अपने साल की शुभ शुरूआत कर सकते है. आप सूर्यदेव की विधिवत पूजा करेंगे तो ऐसा करने से आपका पूरा साल अच्छा जाएगा और आपको किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा. तो चलिए बताते है सूर्यदेव (Surya Dev) की पूजा करने की सही विधि और मंत्रों के जाप के बारे में.
सूर्यदेव की पूजा के लिए इस विधि का करें पालन
नए साल पर सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्य देव को जल चढ़ाएं और घी के दीपक से सूर्यदेव की आरती करें. सूर्यदेव की पूजा के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें. तांबे के लोटे में लाल या पीला चंदन ले. इसमें चावल और फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें. जल का अर्घ्य करते समय अपने हाथों को इतना ऊपर उठाएं कि जल की धार के बीच से सूर्यदेव का प्रतिबिंब बनता हुआ नजर आए. जल का अर्घ्य देते समय 'ऊँ सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करें.
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पूजा के समय इन मंत्रों के जाप से होगी शुभ फल की प्राप्ति
सूर्यदेव से संबंधित चीजों का दान करके आप शुभ फल की प्राप्ति कर सकते हैं. आपको इस दिन तांबा, पीला वस्त्र, गेहूं, गुड़ आदि चीजों का दान करना चाहिए. यह बहुत लाभदायक होता है. आपको पूजा के समय 'ऊँ सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए.
'ऊँ सूर्याय नम:' मंत्र
ॐ मित्राय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ सूर्याय नमः
ॐ भानवे नमः
ॐ खगाय नमः
ॐ पूष्णे नमः
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
ॐ मरीचये नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ सवित्रे नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः
मान्यताओं के अनुसार, किसी विशेष दिन ही नहीं बल्कि रोज ही उगते सूर्य को जल चढ़ाना शुभ होता है. उगते सूर्य को अर्घ्य देने से बिगड़े काम बनते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती है. सूर्यदेव की पूजा से स्वास्थ्य, सुख, यश और सफलता की प्राप्ति होती है.
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सूर्य देव की आरती करने से भी भक्तों के बिगड़े काम पूरे होते हैं. सूर्यदेव की रोजाना पूजा करने से भाग्य के लिए शुभ होता है.
सूर्यदेव की आरती
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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