8 मार्च को महाशिवरात्रि है और इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था. भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में तो आप जानते ही होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि महादेव ने अब तक कितने अवतार लिये है और उनमें से 2 अवतार आज भी जीवित माने गए हैं.
भगवान शिव को कालों के काल महाकाल कहा जाता है. धर्म की रक्षा करने के लिए भगवान शिव को भी कई अवतार लेने पड़े थे. भगवान शिव की गिनती त्रिदेवों में होती है. शिव जी को तंत्र-मंत्र का अधिष्ठात्री देवता कहा जाता है. भगवान शिव ने दुष्ट असुरों का संहार करने के लिए समय-समय पर कई अवतार लिए हैं. कुछ अवतार भोलेनाथ ने देवताओं का अभिमान तोड़ने के लिए भी लिए हैं. धर्म-शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने 19 अवतारों का जिक्र है. तो चलिए जानें वो कौन से 19 अवतार हैं और कौन से 2 अवतार आज भी जीवित हैं और कहां रहते हैं.
शिवजी के 19 अवतार
वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी अवतार ,भैरव अवतार, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, ऋषि दुर्वास, हनुमान जी, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, ब्रह्मचारी अवतार, सुनटनतर्क और यक्ष अवतार. ये शिवजी के 19 अवतारों के नाम हैं.
आज भी जीवित हैं, ये दो अवतार
हनुमान
माना जाता है कि भगवान शिव के अवतारों में से एक हनुमान जी आज भी जीवित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब देवताओं और दानवों के बीच विष्णु जी के मोहनी रूप से द्वारा अमृत बांटा जा रहा था, तो भगवान भोलेनाथ मोहिनी रूप को देखकर मोहित हो गए थे. सप्त ऋषियों ने भोलेनाथ जी के वीर्य को कुछ पत्तों पर इकट्ठा कर लिया. बाद में समय आने पर इसी वीर्य को वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से उनके गर्भ में स्थापित किया गया.
इस तरह भगवान राम के भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ. कहा जाता है कि भगवान हनुमान को 1000 से भी अधिक हाथियों का बल प्राप्त था. साथ ही उन्हें भूत-प्रेत का काल और संकट मोचन कहा जाता है. हनुमान जी की भक्ति देखकर माता सीता ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था और आज भी हनुमान जी जीवित हैं. मान्यता है कि रामेश्वरम् गंधमादन पर्वत जो की कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित है, वहां आज भी 'हनुमान जी' निवास करते हैं.
अश्वत्थामा
भगवान शिव के पांचवें अवतार को अश्वत्थामा का नाम दिया गया था. यह अवतार गुरु द्रोणाचार्य के घर उनके पुत्र के रूप में हुआ था. द्रोणाचार्य ने भगवान भोलेनाथ को पुत्र के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी और भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उनके पुत्र के तौर जन्म लेने का वरदान दिया था. साथ ही अश्वत्थामा को भी अमरता का वरदान मिला था. माना जाता है कि आज भी हिमालय की कंदराव में रहते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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