डीएनए हिंदीः आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 29 जून दिन गुरुवार को है और इस दिन से चार महीने तक भगवान शिव धरती की बागडोर संभालेंगे. इस दिन देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2023) होगी और भगवान विष्णु अपना सारा काम भगवान शिव को हैंडओवर कर देंगे. एक तरह से ये सत्ता परिवर्तन है.
अगले 4 महीने भगवान विष्णु पाताल लोग में विश्राम के लिए चले जाते हैं. इन 4 महीनों में सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में होता है. भगवान विष्णु के पाताल लोक में जाकर विश्राम करने के पीछे एक पौराणिक कथा है, चलिए इसे जानें.
पौराणिक कथा के अनुसार दैत्यों का राजा बलि बहुत पराक्रमी था. उसने तीनों पर अधिकार कर लिया था. देवता भी उससे डरते थे. तब एक दिन सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें पूरी बात बताई. भगवान ने देवताओं को आश्वासन दिया कि जल्दी ही वे इस परेशानी का निराकरण करेंगे. भगवान विष्णु वामन रूप लेकर राजा बलि से भिक्षा मांगने गए और उनसे तीन पग धरती मांग ली.
बलि ने जैसे ही भगवान वामन को तीन पग भूमि दान देने का संकल्प लिया, वैसे ही भगवान वामन ने अपना शरीर पर्वतों से भी ऊंचा कर लिया. भगवान वामन ने एक पग में धरती और दूसरे में आकाश नाप दिया. जब तीसरा पग रखने के लिए कोई जगह नहीं बची तो राजा बलि ने स्वयं को आगे कर दिया और कहा “आप तीसरा पैर मेरे ऊपर रखिए.”
जैसे ही भगवान विष्णु ने बलि के ऊपर पैर रखा तो वह पाताल लोक में चला गया. बलि की दानवीरता देखकर भगवान भी बहुत प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा. बलि ने कहा कि “आप भी मेरे साथ पाताल में रहिए.” बलि की बात मानकर भगवान विष्णु को भी पाताल जाना पड़ा. ऐसा होने से सभी देवता और देवी लक्ष्मी परेशान हो गई.
देवी लक्ष्मी ने ऐसे पाया भगवान विष्णु को वापस
भगवान विष्णु को पाने के लिए देवी लक्ष्मी एक गरीब स्त्री के रूप में राजा बलि के पास गई और उन्हें रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बना लिया. जब बलि ने उनसे कुछ मांगने को कहा तो उन्होंने भगवान विष्णु के मांग लिया. इस तरह 4 महीने के बाद पुन: भगवान विष्णु पाताल लोक से बाहर आए. मान्यता है कि आज भी भगवान विष्णु 4 महीने तक पाताल लोक में निवास करते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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