Shiv Puja : 29 अप्रैल को है मासिक शिवरात्रि, ऐसे मनाएं भोलेनाथ को

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 28, 2022, 11:57 PM IST

शिव की पूजा

हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है.

डीएनए हिंदी : हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. मासिक शिवरात्रि वर्ष के प्रत्येक महीने में और महाशिवरात्रि वर्ष में एक बार मनाते है. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति का हर मुश्किल काम आसान हो जाता है. मासिक त्योहारों में शिवरात्रि का व्रत और पूजन का बहुत महत्व होता है.

पर्व न केवल उपासक को अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि उसे क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान और लालच जैसी भावनाओं को रोकने में भी मदद करता है. मासिक शिवरात्रि हर महीने मनाई जाती है.

मासिक शिवरात्रि का महत्व

शिवरात्रि के व्रत की महिमा से तो सभी भली-भांति परिचित हैं, लेकिन हर महीने आने वाली मासिक शिवरात्रि का व्रत भी बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि में व्रत, उपवास रखने और भगवान शिव की सच्चे मन से आराधना करने से सभी मनोमनाएं पूरी होती हैं. इस दिन व्रत करने से हर मुश्किल कार्य आसान हो जाता है और जातक की सारी समस्याएं दूर होती हैं. मासिक शिवरात्रि के दिन की महिमा के बारे में यह भी कहा जाता है कि वो कन्याएं जो मनोवांछित वर पाना चाहती हैं इस व्रत को करने के बाद उन्हें उनकी इच्छा अनुसार वर मिलता है और उनके विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं. शिव पुराण के अनुसार जो भी सच्चे मन से इस व्रत को करता है उसकी सारी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं.

 

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि -

-  मासिक शिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें.

- अब आप किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें.

- सबसे पहले आप शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें. ऐसी मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं.

-  अब आप शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं. ध्यान रहे कि बेलपत्र अच्छी तरह साफ़ किये होने चाहिए.

-  अब आप भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें.

-  शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें.

- संध्या के समय आप फलाहार कर सकते हैं. उपासक को अन्न ग्रहण नही करना चाहिए.

- अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें.

 

(जानकारी स्रोत : आचार्य डॉक्टर विक्रमादित्य)

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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