Chhath Puja: आज क्यों डूबते सूरज की होगी पूजा? 30 अक्टूबर को अस्ताचल सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य

ऋतु सिंह | Updated:Oct 30, 2022, 07:28 AM IST

Chhath Puja: क्यों डूबते सूरज की होती है छठ में पूजा, जानें महत्व और लाभ

Salutation to Sunset: उगते सूर्य की पूजा तो सब जानते हैं लेकिन आज छठ में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, क्या इसके पीछे की मान्यता आप जानतें हैं?

डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म में जागृत देवता के रूप में सूर्य और चंद्र की उपासना होती हैं लेकिन अमूमन उगते सूर्य और चंद्र की पूजा ही होती है, लेकिन छठ में डूबते सूर्य की पूजा का भी विधान हैं. 

डूबते सूर्य की पूजा के बाद अगले दिन छठ के व्रती उगते सूर्य को जल देकर अपने व्रत का पूर्ण करते हैं. यानी उगते और डूबते दोनों ही सूर्य का महत्व इस पूजा में है. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. डूबते सूर्य की पूजा के पीछे क्या महत्व है और किस दिन डूबते सूर्य को जल दिया जाएगा, जान लें. 

आज नहाय-खाय पर कद्दू-भात खाकर निर्जला व्रत की होगी शुरुआत, जानिए छठ पूजा के क्या हैं सख्त नियम 

छठ पूजा के तीसरे दिन 30 अक्टूबर को डूबते सूर्य की पूजा

छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.  व्रती महिलाएं या पुरुष पानी में खड़े होकर शाम 05 बजकर 37 मिनट पर अर्घ्य देंगे, क्योंकि यही सूर्यास्त का समय है.

छठ में सूर्य और उनकी बहन की होती है उपासना

पुराणों में सप्तमी तिथि का स्वामी सूर्य को माना गया है इसलिए सप्तमी तिथि को सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही छठ व्रत पूर्ण होता है. इस व्रत का आरंभ षष्ठी तिथि को होता है जिसमें भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन षष्ठी मैय्या की पूजा होती है. इसलिए इसे छठ व्रत के नाम से जाना जाता है. 

आज से शुरू हो रहा आस्था का महापर्व छठ, जानें व्रत के नियम-अर्घ्य का समय और कथा

कैसे होती है डूबते सूर्य की पूजा

उगते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति तो कई व्रतों और त्योहारों में है लेकिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा केवल छठ में ही होती है. इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. अर्घ्य देने से पहले बांस की टोकरी को फलए ठेकुआ, चावल के लड्डू और पूजा के सामान से सजाया जाता है. सूर्यास्त से कुछ समय पहले सूर्य देव की पूजा होती है फिर डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा की जाती है.

छठ पूजा में डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सायंकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. मान्यता है कि इससे व्रत रखने वाली महिलाओं को दोहरा लाभ मिलता है. जो लोग डूबते सूर्य की उपासना करते हैं. उन्हें उगते सूर्य की भी उपासना जरूर करनी होती है. 

ज्योतिषियों का कहना है कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके अलावा इससे सेहत से जुड़ी भी कई समस्याएं दूर होती हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुताबिक ढलते सूर्य को अर्घ्य देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है. वहीं यह भी हिंदू धर्म में मान्यता है कि जिनकी शक्ति क्षीण हो जाती है या जो अपना तेज खो देते हैं उन्हें भी हमारी संस्कृति मान-सम्मान देती है. उनके जाने का शोक भी मनाती है उनको विदा कर अगले दिन नई शुरूआत भी करती है. तो डूबते सूर्य की पूजा के मायने बहुत ही वृहद हैं.  

छठ पूजा में इन नियमों का जरूर रखें ध्यान, गलती होने पर खंडित हो सकता है व्रत

ज्योतिष में उगते और डूबते सूर्य का महत्व

ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य को सुबह के वक्त अर्घ्य देने से स्वास्थ्य सही रहता है और दोपहर में नाम और यश बढ़ता है. वहीं शाम के समय अर्घ्य देने से जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती है. माना जाता है कि भगवान सूर्य शाम के वक्त अपनी दूसरी पत्नी प्रत्युषा के साथ रहते हैं और प्रसन्न भाव में रहते हैं जिससे इस समय व्रत रखकर अर्घ्य देने से सुख-सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है.

मुकदमा से लेकर पढ़ाई की बाधाओं को दूर करता है सूर्य को अर्घ्य देना

शाम के वक्त सूर्य को अर्घ्य देने से कानूनी मामले और मुकदमे में फंसे लोगों को फायदा होता है. वहीं जो परीक्षार्थी बार-बार असफल हो रहे हैं उन्हें शाम के समय सूर्य को अर्घ्य जरूर देना चाहिए. सूर्यदेव को अर्घ्य देने से जीवन में सामाजिक, मानसिक और आर्थिक सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है. उगते सूर्य को जल देने से सूर्य समान तेज, शौर्य और सम्मान मिलता है. स्वास्थ्य के लिए सूर्य की किरणें दवा की तरह काम करती हैं. इसलिए सूर्य को जल हमेशा उगते समय देना चाहिए. 

सूर्य को अर्घ्य छठ में कैसे दें 

सबसे पहले आप एक बांस के सूप में केला सहित पांच प्रकार के फल रखें और उसमें प्रसाद एवं गन्ने को रखें. इसके बाद पीले रंग के नए कपड़े से सभी फलों को ढक दें. दीप जलाकर दोनों हाथों से सूप को पकड़ें और तीन बार डूबकी मारकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें.

छठ पूजा के ये 6 प्रसाद हैं सुपरफूड, इन्हें खाने से एनीमिया से लेकर बीपी और शुगर तक रहता है कंट्रोल

रोज कैसे सूर्य को जल दें

एक तांबे के लोटे में लाल पुष्प डालकर सूर्य की ओर मुंह कर के जल देना चाहिए. ध्यान रहे ये जल किसी बाल्टी या टब में जाए और आपके पैर पर इसके छींटे न पड़ें. बाद में इस जल को आप किसी पौधे में डाल दें. जल देते हुए ॐ हृूं सूर्याय नमः का जाप जरूर करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.


 

Chhath Puja 2022 doobte suraj ko jal Chhath Ugate doobte surya ko arghya