डीएनए हिंदीः गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण महाकाव्यों में से एक है. इस पुराण में जन्म, मृत्यु, मृत्यु के बाद की स्थिति, पाप, पुण्य और पुनर्जन्म के बारे में विस्तार से बताया गया है. यहां वाहन गरुड़ पाखी के सभी प्रश्नों का उत्तर स्वयं विष्णु जी ने दिया है. इसमें यह भी सुझाव दिए गए हैं कि हम अपने जीवन को और अधिक सुंदर और सार्थक कैसे बना सकते हैं.
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ, भोजन, जागना, सोना जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए उचित समय का उल्लेख है. अगर हर काम सही समय पर किया जाए तो उसके शुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. गरुड़ पुराण में विष्णु कहते हैं कि गलत समय पर किया गया कोई भी अच्छा काम फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है.
गरुड़ पुराण में ऐसे कई कार्यों का उल्लेख है जिन्हें आम तौर पर शुभ कार्य माना जाता है. ये कार्य हमारे जीवन में सुख और समृद्धि लाते हैं. लेकिन ये शुभ कार्य भी बिना उचित समय के किए जाने पर बुरे परिणाम दे सकते हैं. जानिए गरुड़ पुराण में कौन सा काम किस समय करने को कहा गया है.
ये शुभ कार्य सही समय पर करें
1-हिंदू धर्म के अनुसार तुलसी के पौधे को जल देना बहुत शुभ होता है. तुलसी के पौधों को नियमित रूप से जल देना चाहिए. लेकिन जल देने का भी एक निश्चित समय होता है. तुलसी के पौधे को कभी भी शाम के समय पानी न दें. शाम के समय तुलसी के पेड़ के नीचे दीपक जलाना चाहिए. इसके अलावा रात के समय तुलसी के पेड़ की पूजा करना भी बहुत अशुभ होता है.
2-ऐसा कहा जाता है कि जहां साफ-सफाई होती है वहीं मां लक्ष्मी का वास होता है. लेकिन सूर्यास्त के बाद कभी भी घर की सफाई न करें. सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू-पोछा करने से देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं. परिणामस्वरूप उस परिवार में दरिद्रता उत्पन्न हो जाती है.
3-शास्त्रों के अनुसार यह भी बताया गया है कि किस दिन बाल काटने चाहिए. गरुड़ पुराण में कहा गया है कि मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए. इन कार्यों को करने के लिए रविवार, सोमवार, बुधवार और शुक्रवार शुभ दिन हैं.
4-गरुड़ पुराण में श्री विष्णु कहते हैं कि सूर्यास्त के बाद कभी भी दही नहीं खाना चाहिए. इसके परिणामस्वरूप जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है. इसके अलावा कभी भी सूर्यास्त के बाद किसी को नमक न दें. सूर्यास्त के बाद माता लक्ष्मी नमक देने से अप्रसन्न होकर उस घर से चली गईं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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