अधिकमास की 15 या 16 में से किस दिन है अमावस्या? जानें सही तारीख से लेकर शुभ-मुहूर्त और इसका महत्व

नितिन शर्मा | Updated:Aug 14, 2023, 02:56 PM IST

अधिकमास की अमावस्या बहुत ही विशेष होती है. इस बार अमावस्या 16 अगस्त को मनाई जाएगी. इस दिन गंगा में स्नान करने के साथ ही दान कर पितृ दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है. 

डीएनए हिंदी: (Adhik Maas Amavasya Date And Time ) हिंदू धर्म में सावन के साथ ही अधिकमास का महीना बेहद खास माना जाता है. यह मास 3 साल में एक बार पड़ रहा है. इस साल अधिकमास सावन में पड़ रहा है. ऐसे में भगवान शिव के साथ ही विष्णु जी की कृपा का बड़ा संयोग बन रहा है. अधिकमास की अमावस्या क दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण करना बहुत ही शुभकारी होता है. इसे पितृ दोष खत्म होने के साथ ही उन्नति के रास्ते खुलते हैं. रुठे हुए पितृ भी प्रसन्न होते हैं. उनकी कृपा से सुख शांति, धन दौलत के भंडार भरते है, जीवन से रोग दोष और विकार खत्म हो जाते हैं. इस बार अमावस्या की तारीख को लेकर असमंजस बनी हुई है. इसकी वजह अमावस्या का 15 और 16 अगस्त यानी दो दिन पड़ना है.

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जानें 15 या 16 किस दिन है अमावस्या

पंचांग के अनुसार, अधिकमास की अमवस्या तिथि 15 अगस्त 2023 को मंगलवार के दिन दोपहर 12 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी. यह अगले दिन यानी 16 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 7 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, अधिकमास की अमावस्या का स्नान 16 अगस्त को किया जाएगा. इस दिन मंगला गौरी का व्रत भी रखा जाएगा. इस दिन वस्ना आदि करने के बाद भगवान का वि​धि विधान से पूजा अर्चना करने का शुभ फल मिलेगा. ऐसे में अमवस्या को 16 अगस्त को ही माना शुभ होगा. इसका स्नान दान का सबसे शुभ मुहूर्त 16 अगस्त की सुबह 4 बजकर 20 मिनट से सुबह 5 बजकर 2 मिनट तक रहेगा. ज्योतिष की मानें तो 15 अगस्त को दर्श अमावस्या है. बताया जाता है कि इस दिन पूर्वज अपने परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं. वहीं इस दिन शाम क समय चंद्र देव से की गई कामना पूर्ण होती है. 

अधिकमास अमावस्या पर पूजा विधि 

अधिकमास अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करें. इसका बहुत अधिक महत्व रहता है. अगर गंगा स्नान नहीं कर पाते हैं तो नहाने के पानी में गंगा जल डाल लें. इसके बाद भगवान सूर्य देव को जल दें. इसके साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करें. इस दिन भगवान विष्णु के मंत्र ओम भगवते वासुदाय का कम से कम 108 बार जप करें. आषाढ़ अमावस्या के दिन अपनी योग्यता के अनुसार दान जरूर करें. इसके साथ ही पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध करें.

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अधिकमास अमावस्या पर करें ये 4 उपाय

-अगर आप पितृदोष से परेशान हैं तो अधिकमास की अमावस्या के कुछ एक उपाय करने से ही पितृ को प्रसन्न कर दोषों से मुक्ति पा सकते हैं. यह जीवन में तरक्की के रास्ते खोलता है. अगर आप भी परेशान हैं तो इस दिन सिर्फ ये उपाय कर सकते हैं. 

-पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए अधिकमास की अमावस्या पर सुबह स्नान करें. इसके बाद जल, दूध, दही, शहद और तिल लेकर शिवलिंग पर अर्पित करें. ऐसा करने से पितृदोष दूर होता है.  जीवन में आ रही बाधाएं और कलेश का निवारण होता है. 

-अगर घर के सदस्यों के साथ बार बार दुर्घटनाओं हो रही है. स्वास्थ्य खराब रहता है. किसी बात का डर सताता है तो अधिकमास अमावस्या के दिन शिवलिंग पर सफेद आक के फूल और बेलपत्र अर्पित करें. भगवान से सभी विकार दूर करने की कामना करें. यह आपको सभी समस्याओं से छुटकारा दिला देगा. 

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-अगर विवाह में देरी हो रही है या फिर जीवन साथी के साथ लड़ाई झगड़ा रहता है तो अमावस्या पर पितृसूक्त का पाठ करें. इसे भगवान प्रसन्न होंगे. 
 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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