डीएनए हिंदीः 6 नवंबर से 7 दिसंबर तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध मेले में पहली बार 'सोनपुर मेला 2022' एप (Sonpur Mela App)का भी शुभारंभ होगा, एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं. मेले को 'हरिहर क्षेत्र मेला' के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे छत्तर मेला पुकारते हैं. बिहार के सारण ज़िले में स्थित सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) से लगता है, लेकिन इस बार दो दिन पहले लग रहा है.
पिछले दो साल से यह मेला कोरोना के कारण नहीं लग रहा था. लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर से शुरू हो रहा है. विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले में हर आयु, हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ खास होता है. इस मेले के बारे में कहा जाता है कि यहां दुनिया की हर चीज मिलती है. इस मेले की पहचान पशु मेले के रूप में प्रसिद्ध है.
सोनपुर का मेला क्यों प्रसिद्ध है?
एक जमाने में यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था. मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य (340 ई॰पु॰ -298 ई॰पु), मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुंवर सिंह ने भी से यहां हाथियों की खरीद की थी. सन् 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े के बड़ा अस्तबल भी बनवाया था.
सोनपुर मेला में क्या बिकता है?
इस मेले में कभी अफगान, इरान, इराक जैसे देशों के लोग पशुओं की खरीदारी करने आया करते थे. कहा जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने भी इसी मेले से बैल, घोड़े, हाथी और हथियारों की खरीदारी की थी.1857 की लड़ाई के लिए बाबू वीर कुंवर सिंह ने भी यहीं से अरबी घोड़े, हाथी और हथियारों का संग्रह किया था.
सोनपुर मेला किसने शुरू किया था?
यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है और आमतौर पर पंद्रह दिनों से लेकर एक महीने तक चलता है. यह ऐतिहासिक रूप से सारण के सूर्यवंशी बैस राजाओं द्वारा शुरू किया गया था. सोनपुर पशु मेला मध्य एशिया जैसे दूर-दूर के व्यापारियों को आकर्षित करता था.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर