Ahoi Ashtami 2024: कल है अहोई अष्टमी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त से लेकर संकल्प की विधि और माता की आरती 

Written By नितिन शर्मा | Updated: Oct 23, 2024, 01:16 PM IST

अहोई अष्टमी का व्रत संतान की सुरक्षा और प्राप्ति के लिए किया जाता है. इस दिन माताएं निर्जला व्रत करती हैं. रात को तारों को देखकर व्रत का पारण किया जाता है.

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान की सुरक्षा और प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं. यह व्रत करवा चौथ के बाद आता है. वहीं अहोई अष्टमी व्रत दीवाली पूजा से आठ दिन पहले आता है. आइए जानते हैं इस बार कब है अहोई अष्टमी का व्रत, शुभ मुहूर्त से लेकर इसका महत्व...

इस दिन है अहोई अष्टमी व्रत
इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार को रखा जाएगा. अहोई अष्टमी को अहोई आठें भी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार यह व्रत माह के आठवें दिन पड़ता है. इस दिन माता अहोई के साथ साथ स्याही माता की उपासना भी की जाती है.  

अहोई अष्टमी पर ये है शुभ मुहूर्त

अहोई अष्टमी व्रत कार्तिम माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी ति​थि को मनाया जाता है. इस बार अष्टमी तिथि की शुरुआत 24 अक्टूबर 2024 को 1 बजकर 8 मिनट से शुरू होगी. यह अगले दिन 25 अक्टूबर को 1 बजकर 58 मिनट तक रहेगी. वहीं इस बार अहोई की पूजा और व्रत का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 59 मिनट तक रहेगीा. वहीं चंद्र अर्घ्य रात 11 बजकर 55 मिनट पर देना शुभ होगा. 

ऐसे किया जाता है अहोई अष्टमी का व्रत और पूजा

इस व्रत में मातायें अपने बच्चों की कुशलता के लिए उषाकाल यानी सुबह से लेकर गोधूलि बेला, यानी सायाह्नकाल तक व्रत करती हैं. करवा चौथ के समान अहोई अष्टमी का दिन भी बेहद कठिन और निर्जला व्रत किया जाता है. इसके बाद आकाश में तारों का दर्शन करने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. 

अहोई अष्टमी व्रत पर ये है भोग 

अहोई अष्टमी व्रत पर माता रानी के पसंदीदा भोग मठरी, मालपुआ, गुलगुले, सिंघाड़े, दूध, चावल, मूली, मैवे, फल और जलेबी का भोग लगा सकते हैं. इससे माता रानी प्रसन्न होती हैं. भक्त की कामनाओं को पूर्ण करती हैं.


अहोई अष्टमी की आरती 

जय अहोई माता जय अहोई माता.

तुमको निसदिन ध्यावत हरी विष्णु धाता ..

ब्रम्हाणी रुद्राणी कमला तू ही है जग दाता .

जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता ..

तू ही है पाताल बसंती तू ही है सुख दाता .

कर्म प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता ..

जिस घर थारो वास वही में गुण आता .

कर न सके सोई कर ले मन नहीं घबराता ..

तुम बिन सुख न होवे पुत्र न कोई पता .

खान पान का वैभव तुम बिन नहीं आता ..

शुभ गुण सुन्दर युक्ता क्षीर निधि जाता .

रतन चतुर्दश तोंकू कोई नहीं पाता ..

श्री अहोई माँ की आरती जो कोई गाता .

उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता ..

अहोई अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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