डीएनए हिंदीः संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए माताएं अहोई मैया और भगवान शिव की पूजा करती हैं और इस दिन निर्जला व्रत का पालन करती हैं. इस व्रत में तारे और चांद दोनों ही देखने का महत्व होता है. व्रत पूजन के बाद व्रत का पारण करने का भी नियम और मुहूर्त होता है.
इस बार अहोई अष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, शिव और सिद्ध योग बन रहे हैं इसलिए इस बार इस व्रत का महत्व और अधिक होगा. अहोई अष्टमी पर बनने वाले योग पूजा मुहूर्त और तारों को देखकर पारण के शुभसमय के बारे में चलिए विस्तार से जानें.
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अहोई अष्टमी शुभ
अहोई अष्टमी पर बने तीन शुभ योग
अहोई अष्टमी को शिव योग 17 अक्टूबर प्रातकाल से लेकर शाम 04 बजकर 02 मिनट तक
सिद्ध योग शाम 04 बजकर 02 मिनट से अगले दिन शाम 04 बजकर 53 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग 18 अक्टूबरए प्रात 05 बजकर 13 मिनट से प्रातरू 06 बजकर 23 मिनट तक रहेगा.
अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभरू 17 अक्टूबर सोमवार सुबह 09 बजकर 29 मिनट से कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि का समापन 18 अक्टूबर मंगलवार सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर होगा. पूजा का शुभ मुहूर्तरू शाम 05 बजकर 50 मिनट से शाम 07 बजकर 05 मिनट तक है.
अहोई अष्टमी तारों को देखने का समय
शाम 06 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ
अहोई अष्टमी 2022 चंद्रोदय समय
अहोई अष्टमी को चंद्रोदय रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगा.
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अहोई अष्टमी पारण समय
जो माताएं तारों को देखने के बाद पारण करती हैं वे शाम 06 बजकर 13 मिनट के बाद से पारण कर सकती हैं. जो माताएं चंद्रमा को जल अर्पित करने के बाद पारण करती हैंए वे रात 11 बजकर 24 मिनट के बाद पारण कर सकती हैं.
पारण में क्या खाएं
पारण करते समय सबसे पहले जल लें और उसके साथ एक डली गुड़ लें. मीठी और लाल रंग की चीज से व्रत का पारण करना शुभ माना गया है. इसके बाद आप भोजन कर सकती हैं लेकिन भोजन सात्विक हो और सादा होना चाहिए.
अहोई अष्टमी व्रत का महत्व
अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपनी संतान की सुरक्षा. उत्तम स्वास्थ्य और उनके सुखी जीवन के लिए रखती हैं. इस दिन वे निर्जला व्रत रखती हैं और अहोई माता की विधि विधान से पूजा करती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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