डीएनए हिंदीः अष्टमी माता का व्रत संतान की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. 17 अक्टूबर अष्टमी का व्रत होगा. इस दिन उन महिलाओं को भी व्रत करना चाहिए जिन्हें संतान की कमाना है, तो व्रत पूजन के साथ माता की आरती जरूर करें, तभी पूजा पूरी होगी.
अहोई अष्टमी का उपवास करने के लिए माताएं सुबह उठकर, एक सादे करवे अर्थात मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर रखती हैं. इसके बाद माता अहोई का ध्यान करते हुए अपनी संतान की सलामती के लिए विधिविधान से पूजा करती हैं. इस दिन माताएं पूरा दिन निर्जल उपवास भी करती हैं.
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अहोई माता की आरती (Ahoi Mata Aarti)
जय अहोई माता,
जय अहोई माता ।
तुमको निसदिन ध्यावत,
हर विष्णु विधाता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला,
तू ही है जगमाता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥
माता रूप निरंजन,
सुख-सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत,
नित मंगल पाता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥
तू ही पाताल बसंती,
तू ही है शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक,
जगनिधि से त्राता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥
जिस घर थारो वासा,
वाहि में गुण आता ।
कर न सके सोई कर ले,
मन नहीं घबराता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥
तुम बिन सुख न होवे,
न कोई पुत्र पाता ।
खान-पान का वैभव,
तुम बिन नहीं आता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥
शुभ गुण सुंदर युक्ता,
क्षीर निधि जाता ।
रतन चतुर्दश तोकू,
कोई नहीं पाता ॥
॥ ॐ जय अहोई माता॥
श्री अहोई माँ की आरती,
जो कोई गाता ।
उर उमंग अति उपजे,
पाप उतर जाता ॥
ॐ जय अहोई माता,
मैया जय अहोई माता ।
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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