हिंदू धर्म में तिथि और त्योहारों का बड़ा महत्व है. इनमें एकादशी को सबसे ज्यादा विशेष माना जाता है. किसी भी महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक एक एकादशी आती है. दोनों ही एकादशी में व्रत का बड़ा महत्व होता है. इसमें व्रत करने से लेकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और पाप कट जाते हैं. वर्तमान में कृष्ण जन्माष्टमी के बाद भाद्रपद की कृष्ण पक्ष में एकादशी आने वाली है. इसे अजा एकादशी कहते हैं. अजा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. सभी संकट और पापों से मुक्ति मिल जाती है. आइए जानते हैं किस दिन है अजा एकादशी, इसकी पूजा विधि और महत्व...
इस दिन रखा जाएगा अजा एकादशी व्रत
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 28 अगस्त की रात 1 बजकर 19 से मिनट से होगी. इसका समापन अगले दिन 29 अगस्त की रात में 1 बजकर 37 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि को देखते हुए अजा एकादशी का व्रत 29 अगस्त को रखा जाएगा. 29 अगस्त को अजा एकादशी के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी है.
अजा एकादशी की पूजा विधि
अजा एकादशी पर सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें. इसके साथ पूजा स्थल सफाई करें. यहां चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. इसके सामने दीपक जलाये. पूजा में भगवान को फल, फूल, चंदन आदि अर्पित करें. साथ ही कम से कम 11 बार "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जप करें. इसके बाद व्रत का संकल्प लें और दिन में फलहार करें. अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करें.
एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. एकादशी व्रत सभी व्रतों में सबसे श्रेष्ठ होता है. इस व्रत को रखने से व्यक्ति के पाप दोष नष्ट होने के साथ ही सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु व्यक्ति की भाग्य को जागृत कर हर काम में सफलता दिलाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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