डीएनए हिंदीः आज अक्षय नवमी पर तीन शुभ योग हैं. मानस, मित्र और रवि योग होने से आज का दिन और महत्वपूर्ण और शुभफलदायी बन गया है. आज के दिन शाम के समय आंवले के पेड़ के नीचे दीपदान जरूर करना चाहिए. साथ ही इस दिन कुछ खास उपाय जरूर लेना चाहिए खासकर उन्हें और करना चाहिए जिनकी कुंडली में सूर्य अस्त हो या सूर्य कमजोर होकर बुरे फल दे रहा है.
अगर आपके जीवन में नौकरी, व्यापार, धन या रोग और तनाव की छाया है तो आज अक्षय नवमी यानी आंवल नवमी के दिन से 10 दिन तक रोज आंवले के पेड़ के नीचे दीपदान करना चाहिए. ऐसा करने से आपकी समस्याएं आसानी हो जाएंगी.
Akshay Navami: 2 नवंबर को अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ के नीचे जरूर बनाएं भोजन, ये है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी अथवा अक्षय नवमी होती है. आज के दिन आंवले के पेड़ की पूजा, पेड़ की छाया में खाना बनाना और खाना खिलाना बहुत शुभ माना गया है. मान्यता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है. इस दिन की पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग का आरंभ इसी दिन हुआ था. इस दिन दान व्रत व भगवान विष्णु का स्वरूप आंवला वृक्ष की पूजा करने से एवं इस वृक्ष के नीचे ब्राह्मण और जरूरमंदों को भोजन कराने औरस्वयं भोजन करने से जन्म जन्मांतर का पुण्य फल प्राप्त होता है.
आज से कर लें ये उपाय
अगर आपकी कुंडली में सूर्य अस्त है या सूर्य कमजोर, शत्रु राशि में या सूर्य नीच राशि के साथ है तो आपको आज के दिन आंवले के पेड़ की पूजा के साथ भगवान विष्णु की पूजा और दानों के समक्ष 10 दिन तक घी का दीपक जलाना चाहिए. इससे दस दिन के अंदर आपकी सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी.
Akshay Navami 2022 Upay अक्षय नवमी पर आंवले से जुड़े ये 5 उपाय जरूर कर लें, घर में सुख-समृद्धि का होगा वास
2 नवंबर का पंचांग (Aaj Ka Panchang 2 November 2022)
2 नवंबर 2022, दिन बुधवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पूरे दिन रहेगी. इस दिन आंवला नवमी का पर्व मनाया जाएगा. बुधवार को धनिष्ठा नक्षत्र पूरे दिन रहेगा. मंगलवार को धनिष्ठा नक्षत्र होने से मित्र नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा. इसके अलावा गण्ड और वृद्धि नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे. राहुकाल दोपहर 12:10 से 01:33 तक रहेगा.
2 नवंबर का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 7:59 AM – 9:23 AM
कुलिक - 10:46 AM – 12:10 PM
दुर्मुहूर्त - 11:48 AM – 12:32 PM
वर्ज्यम् - 08:39 AM – 10:11 AM
आंवला नवमी की व्रत कथा पढ़कर ही मिलेगा पुण्यफल
एक बार काशी नगरी में एक नि:सन्तान व दानी वैश्य रहा करता था, लेकिन यह दंपति नि:संतान थी. वैश्य की पड़ोसन ने उसे राय दी कि तुम बाबा भैरव को एक पराये बच्चे कि बलि चढ़ा दोगी तो तुम्हे पुत्र की प्राप्ति होगी. वैश्य की पत्नी ने जब यह बात वैश्य को बताई. लेकिन उन्होंने बच्चे की बलि देने की बात का मंजूर नहीं किया. लेकिन उसकी पत्नी ने उसकी बात को नहीं माना और एक बच्ची को कुएं में गिरा दिया और बाबा को बलि दे दी लेकिन वैश्य की पत्नी को विपरीत परिणाम देखने को मिला.
उसके शरीर पर कई घाव हो गए. अपनी पत्नी की ऐसी हालत में देखकर वैश्य ने उससे इसके पीछे का कारण पूछा. तब उसने सारा वृतांत अपने पति को सुनाया. पत्नी की बात सुनकर वैश्य ने कहाकि इस संसार में गौ, बाल और ब्राह्मण हत्या करने वालों के लिए कोई स्थान नही है. इसलिए इस पाप का प्रायश्चित करने के लिए तुम्हे गंगा नदी के किनारे जाकर भगवान का स्मरण करों. यदि सच्चे मन से तुमने भगवान का भजन किया तो तुम्हे अवश्य ही इन कष्टों से मुक्ति मिलेगी. उसने ऐसा ही किया और गंगा किनारे रहने लगी. वे प्रतिदिन भगवान का स्मरण करती थी.
तब एक दिन वहां गंगा माता एक वृद्ध स्त्री का वेश धारण कर प्रकट हुई. उन्होंने वैश्य की पत्नी से कहा- तू मथुरा जा और वहां जाकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी का व्रत कर और इसी दिन विधि-विधान से आंवले के वृक्ष का पूजन कर. ऐसा करने से तुम्हारे सभी पाप धूल जाएंगे और तुम्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलेगी. आंवला नवमी का व्रत रखने से संतान प्राप्ति के साथ ही पारिवारिक सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है. ऐसे में महिलाओं को आंवला नवमी के दिन व्रत रखकर विधि-विधान से आंवले के वृक्ष का पूजन अवश्य करना चाहिए.
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