Religious importance of Amla Navami: पौराणिक मान्यता के अनुसार, आंवला नवमी के दिन द्वापर युग की शुरुआत हुई थी और स्वयं भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. वृन्दावन की परिक्रमा भी इसी दिन से प्रारम्भ होती है. अक्षय नवमी बहुत शुभ दिन है. इस दिन दान-पुण्य का कार्य भी किया जाता है.
अवला नवमी हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. इसके अन्य नाम धात्री नवमी और कुष्मांड नवमी हैं. मान्यता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य अक्षय फल देता है यानी उसका शुभ प्रभाव कभी कम नहीं होता.
क्यों 10 नवंबर को होगी आंवला नवमी
अक्षय नवमी का पर्व इस साल 10 नवंबर, 2024 को मनाया जाएगा, लेकिन इसकी शुरुआत 9 नवंबर को रात 10 बजकर 45 मिनट से होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 10 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट पर होगा. इसलिए उदयातिथि पर यानी10 नवंबर को अक्षय नवमी का व्रत रखा जाएगा.
अक्षय नवमी 2024 शुभ मुहूर्त
अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ का पूजन किया जाता है और यह पूजन यदि शुभ मुहूर्त में किया जाए तो शुभ फल प्रदान करता है. बता दें कि 10 नवंबर को अक्षय नवमी के दिन दुर्लभ ध्रुव योग बन रहा है तो कि 11 नवंबर को देर रात 1 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा. ऐसे में व्रत करने वाले जातक 10 नवंबर को सूर्योदय के बाद कभी भी पूजा कर सकते हैं.
अक्षय नवमी की पूजा विधि
अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करने का दिन है. इस दिन पूजा करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
अक्षय नवमी यानि आंवला नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें. इसके बाद आंवले के वृक्ष का पूजन आरंभ करें. सबसे पहले आंवले के पेड़ पर गंगाजल अर्पित करें. फिर रोली, चंदन और पुष्प अर्पित करें. फिर आंवले के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं. कच्चे सूत या मौली के धागे को तने पर 8 बार लपेटें. फिर पेड़ की 7 बार परिक्रमा लगाएं. परिक्रमा लगाने के बाद पेड़ की जड़ में फल व मिठाई चढ़ाएं.
अक्षय नवमी पर क्या करें दान
अक्षय नवमी के दिन दान का महत्व बहुत अधिक होता है. इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, फल और धन का दान करना अक्षय पुण्य का कारण बनता है. मान्यता है कि इस दिन किए गए दान का फल अनंत काल तक मिलता है और इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. खासकर गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करना अत्यधिक लाभकारी माना गया है. इस दिन गाय को आहार देना, आंवले का दान करना और घर में बने हुए भोजन को गरीबों में बांटना पुण्यकारी होता है. इस प्रकार के दान-पुण्य से व्यक्ति की समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है. अक्षय नवमी पर पितरों को भोजन, वस्त्र और कंबल का दान करना चाहिए.
मान्यता है कि इस दिन ब्राह्मण भोज के बाद आंवले के पेड़ के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके प्रसाद के रूप में आंवले का सेवन करें. इस संबंध में एक मान्यता यह भी है कि यदि भोजन करते समय करवंदा के पत्ते थाली में गिर जाएं तो यह बहुत शुभ माना जाता है और आने वाले वर्ष में व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. चूंकि कार्तिक शुक्ल नवमी अक्षय नवमी है, इसलिए नदियों, झीलों, तटों या तीर्थों में स्नान करने से अक्षय पुण्य मिलता है.
अक्षय नवमी या आंवला नवमी मंत्र
धन और समृद्धि के लिए मंत्र:
ओम भूरिदा भूरि देहिनो
मा दभ्रं भूर्या भारा
भूरि घेडिन्द्र दिष्टसि।
- ॐ भूरिदा त्यासि श्रुतः पुरुत्र सुरा वृत्रहं|
वह नो भजस्व राधासि ||
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णुवे च विद्महे
वासुदेवाय धीमहि
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्||
लक्ष्मी विनायक मंत्र
दंत भये चक्र दारो दधनं
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्|
धृत बजय लिंगिताम्बधि पुत्राय
लक्ष्मी गणेश कनकभमिदे||
अक्षय नवमी पर्व के अनुसार यह दिन जगत के पालनकर्ता भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है. इसलिए इस शुभ अवसर पर विशेष समय पर लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से सभी दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं और अपार लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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