Akshaya Navami 2023:  आज है अक्षय नवमी, आंवले के पेड़ की पूजा से खत्म होंगे सारे कष्ट और पाप

Written By नितिन शर्मा | Updated: Nov 21, 2023, 06:11 AM IST

अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है और आज यानी मंगलवार 21 नवंबर को अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. इससे सभी पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं.

डीएनए हिंदी: कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का व्रत रखा जाता है. इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है. इस तिथि पर पूजन अर्चना करने से लेकर व्रत करने पर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. इससे सभी पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं. इस दिन भगवान की पूजा से मिलने वाला फल कभी समाप्त नहीं होता. इस बार आंवला नवमी 21 नवंबर यानी आज है. इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान की पूजा अर्चना के बाद व्रत करें.आइए जानते हैं कि आंवला नवमी की पूजा, व्रत, शुभ मुहूर्त से लेकर इसका महत्व और फल 

आंवला नवमी की तारीख और शुभ मुहूर्त

आंवला नवमी को ही अक्षय नवमी भी कहा जाता है. यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. इसबार यह तिथि 21 नवंबर 2023 को आ रही है. पंचांग के अनुसार, आंवला नवमी तिथि 21 नवंबर 2023 दिन मंगलवार सुबह  03 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी. इसका समापन अगले दिन 22 नवंबर दिन बुधवार को रात 1 बजकर 09 बजे पर होगा. उदयातिथि के आधार पर इस साल आंवला नवमी 21 नवंबर को मनाई जाएगी. वहीं इस नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त मंगलवार को सुबह 6 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 7 मिनट तक रहेगा. इस दिन पूजा के लिए 5 घंटे से भी ज्यादा समय मिलेगा. वहीं इस दिन अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. 

ऐसे करें आंवला नवमी की पूजा और व्रत

आंवला नवमी की पूजा और व्रत के लिए इस दिन सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद आंवले के पेड़ के नीचे पूर्व की दिशा की तरफ मुंह करके भगवान विष्णु का पूजन करें. इसके साथ ही पेड़ की जड़ में दूध की अर्पित करें. पेड़ के चारों तरफ सूत लपेटकर कपूर या फिर देसी घी की बाती जलाकर पूजा करें. इसके बाद भगवान की आरती के साथ ही पेड़ की 108 बार परिक्रमा करें. इसके बाद किसी ब्राह्मण, ब्राह्मणी या फिर गरीब को भोजन कराकर वस्त्र तथा दक्षिणा दें. इस दिन भोजन में आंवला जरूर शामिल करें. साथ ही आंवला दान करें. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. साथ ही सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. 

यह है आंवला नवमी की व्रत कथा

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, आंवला की कथा इस प्रकार है कि किसी समय में एक साहूकार था. वह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में नवमी के दिन आंवला के पेड़ के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराता था. इस दिन सोने का दान करता था, लेकिन उसके बच्चों को यह सब देखकर अच्छा नहीं लगता था. वह इसके खिलाफ थे. बेटों के इसका विरोध और परेशान करने से तंग होकर साहूकार दूसरे गांव में जाकर एक दुकान करने लगा. दुकान के आगे आंवले का पेड़ लगाया और उसे सींच कर बड़ा करने लगा. इसी के प्रभाव से उसकी दुकान खूब चलने लगी. वहीं बेटों का कारोबार धीरे धीरे कर बंद हो गया. वह सब अपने पिता के पास पहुंचे और क्षमा मांगी. तो पिता ने उन्हें क्षमा कर आंवले के वृक्ष की पूजा करने को कहा. उनका काम धंधा पहले की तरह चलने लगा.  

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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