Anant Chaturdashi 2022: क्यों अनंत चौदस के दिन होता है गणेश विसर्जन, क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 06, 2022, 11:02 AM IST

Anant Chaturdashi के दिन ही गणेश विसर्जन किया जाता है. जानिए किस दिन है अनंत चतुर्दशी और क्या है इसका महत्व, आखिर क्यों इस दिन गणपति को विदा किया जाता है, क्या है शुभ मुहूर्त

डीएनए हिंदी: Anant Chaturdashi and Ganesh Visarjan Date and Significance- पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इस पर्व को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है. शुभ बात यह है कि 10 दिन तक चलने वाले गणपति महोत्सव (Ganesh Visarjan) का भी यह आखिरी दिन होता है. इस बार अनंत चौदस पर शुभ योग बन रहा है. श्रीहरि की पूजा के साथ साथ बप्पा का विसर्जन भी किया जाएगा, जिससे दोगुना फल प्राप्त होगा. बता दें कि इस साल अनंत चतुर्दशी की तिथि 9 सितंबर शुक्रवार के दिन पड़ रही है. दरअसल ऐसा कहा जाता है कि दोनों पर्व का एक साथ होना शुभ होता है.

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आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त और योग

अनंत चतुर्दशी 2022 मुहूर्त (Anant Chaturdarshi 2022 Muhurat)

अनंत चतुर्दशी तिथि आरंभ- 8 सितंबर 2022, शाम 9 बजकर 02 मिनट से

अनंत चतुर्दशी तिथि समाप्त- 9 सितंबर 2022, शाम 6 बजकर 07 मिनट तक


पूजा का मुहुर्त - सुबह 06.10 - शाम 06:07 (9 सितंबर 2022)

पूजा अवधि - 11 घंटे और 58 मिनट

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अनंत चतुर्दशी 2022 शुभ योग (Anant Chaturdarshi 2022 shubh yog)

इस साल अनंत चतुर्दशी पर बेहद शुभ योग का संयोग बन रहा है. इस दिन सुकर्मा और रवि योग बन रहे हैं. मान्यता है कि सुकर्मा योग में किए गए शुभ कार्य में सफलता जरूर मिलती है. साथ ही रवि योग में श्रीहरि की पूजा करने से पाप नष्ट हो जाते हैं. इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश जी विसर्जन के साथ ही भगवान विष्णु का भी पूजन किया जाता है. उनकी भुजा में रेशम या सूती धागा बांधा जाता है और इसमें 14 गांठे लगाई जाती है. यह एकता व भाईचारे का प्रतीक भी है

सुकर्मा योग - 8 सितंबर 2022, रात 09.41 मिनट से 9 सितंबर 2022 शाम 06 .12 तक

रवि योग - सुबह 6.10 - 11.35 (9 सितंबर 2022)

अनंत चतुर्दशी का महत्व (Anant Chaturdarshi Significance)

अनंत चतुर्दशी पर विधिवत गणपति की पूजा करें.धूप,दीप और भोग लगाएं.बप्पा की विदाई से पहले उनसे अगले साल आने की कामना करें और फिर नदी या तालाब में प्रतिमा का विसर्जन कर दें. इस दिन को चौदस कहा जाता है और गणेश चतुर्थी को भी गणेश चौदस कहते हैं. 

गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan Shubh Muhurat) 

प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - सुबह 06 बजकर 03 मिनट से सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक

अपराह्न मुहूर्त (चर) - शाम 05 बजे से शाम 06 बजकर 34 मिनट तक

अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 01 बजकर 52 मिनट तक

रात्रि मुहूर्त (लाभ) रात- 09 बजकर 26 मिनट से 10 बजकर 52 मिनट तक

रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - देर रात 12 बजकर 18 मिनट से 10 सितंबर सुबह 04 बजकर 37 मिनट तक

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