डीएनए हिंदीः शास्त्रों में पितृपक्ष के दौरान तर्पण श्राद्ध और पिंडदान के अलावा और भी कई काम करने के बारे में बताया गया है. पितृपक्ष भाद्र पूर्णिमा से प्रारंभ होकर आश्विन मास की सर्वपितृ अमावस्या तक चलेगा. शास्त्रों में इस दौरान घर में दीपक जलाने का महत्व बताया गया है. परिणामस्वरूप, दिवंगत पूर्वज प्रसन्न होंगे और उनके आशीर्वाद से हमारा जीवन सुख और समृद्धि से भर जाएगा.
हिंदू धर्म में दीपक जलाने का विशेष महत्व है. जैसे घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए चमेली के तेल का दीपक जलाने से शनि महाराज प्रसन्न होते हैं और सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि महाराज प्रसन्न होते हैं. इसी तरह पितरों को प्रसन्न करने के लिए वास्तु शास्त्र में पितरों के लिए दीपक के कुछ टोटके बताए गए हैं. जानिए पितरों के लिए दीपक जलाने के जरूरी नियम.
पितृपक्ष के 16 दिनों के दौरान मृत पूर्वजों को सम्मान दिया जाता है. इस समय घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाना बहुत शुभ होता है. वास्तु के अनुसार घर की दक्षिण दिशा में पितरों का वास होता है. इसलिए इस समय रोज सुबह-शाम घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए. फलस्वरूप पितरों ने प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया.
ईशान कोण पर घी का जलाएं दीपक
धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में घी का दीपक जलाना बहुत शुभ होता है. घर के ईशान कोण में घी का दीपक जलाने से तृप्त पितरों के आशीर्वाद से मन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
इस दौरान अश्वत्थ वृक्ष के नीचे भी दीपक जलाएं. पितृपक्ष में प्रतिदिन अश्वत्थ वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से भी पितर प्रसन्न होते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, जिस प्रकार अश्वत्थ वृक्ष में कई देवी-देवताओं का वास होता है, उसी प्रकार ऐसा माना जाता है कि मृत पूर्वजों की आत्माएं भी अश्वत्थ वृक्ष में वास करती हैं.
वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन रसोई में दीपक जलाना भी बहुत शुभ होता है. फलस्वरूप पितर प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से हमारा परिवार सुख-शांति से परिपूर्ण रहता है. इसके अलावा रसोई में दीपक जलाने से भी मां अन्नपूर्णा और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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