Anjani Mahadev Temple: भगवान शिव के इस मंदिर में झरने से होता है जलाभिषेक, जानें क्यों कहा जाता है अंजनी महादेव 

Written By नितिन शर्मा | Updated: Jul 25, 2024, 03:19 PM IST

Anjani Mahadev Temple: सावन माह में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा उपासना करना बेहद शुभ माना जाता है. इस माह में महादेव के दर्शन और जलाभिषेक करने से मनोकामना पूर्ण हो जाती है. 

Anjani Mahadev Temple: सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है इस महीने में भगवान शिव की उपासना और शिवलिंग पर जलाभिषेक करने मात्र से ही महादेव अपने भक्तों की हर मनोकामनाओं को पूर्ण कर देते हैं. इसी महीने में मनाली स्थित भगवान शिव के मंदिर पर भी भारी संख्या में शिव भक्त पहुंचते हैं. मनाली के पास स्थित इस मंदिर में झरने से शिवलिंग का जलाभिषेक का अद्भुत नजारा दिखाई देता है. यहां भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है. भगवान शिव के इस मंदिर को अंजनी महादेव मंदिर कहा जाता है. आइए जानते हैं कि आखिर इसे क्यों कहा जाता है अंजनी महादेव मंदिर. इससे हनुमान जी का क्या है संबंध...

हनुमान जी की माता से जुड़ा है इसे मंदिर का इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनाली के पास स्थि​त अंजनी महादेव मंदिर का नजारा बेहद मनमोहक है. यहां प्राकृतिक रूप से बना झरना शिवलिंग पर जलाभिषेक करता है. बताया जाता है कि यह वही स्थान है, जहां त्रेतायुग में हनुमान जी की माता अंजनी ने पुत्र प्राप्ति के लिए महादेव की तपस्या की थी. माता अंजनी की तपस्या भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिये. बताया जाता है कि तभी से यहां प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है. इस पर झरने गिरकर जलाभिषेक करता है. 

ये है बड़ी मान्यता

मनाली के पास स्थित अंजनी महादेव मंदिर को हिमाचल प्रदेश का अमरनाथ भी कहा जाता है. बताया जाता है इस मंदिर में महादेव के शिवलिंग का दर्शन करते ही भक्तों की इच्छा पूर्ण हो जाती है. बताया जाता है कि इस मंदिर की खोज कई सालों पहले गुरु बाबा प्रकाश पुरी महाराज जी ने की ​थी. उन्होंने मंदिर के पास ही अपनी एक कुटिया बनाई हुई थी. सर्दियों के मौसम में भी यह झरना जम जाता था. वहीं शिवलिंग के आसपास भी बर्फ की परत जम जाती है. हालांकि बताया जाता है कि इस बर्फ से दर्शन करने पहुंचने वाले भक्तों को नुकसान नहीं पहुंचता.

ऐसे पहुंच सकते हैं अंजनी महादेव मंदिर

अंजनी महादेव मंदिर मनाली से करीब 14 किलोमीटर दूर सोलंगनाला के पास स्थित है. मंदिर साढ़े ग्यारह बजार फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है. वहीं मंदिर मुख्य मार्ग से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां आप मंदिर तक पैदल पहुंच सकते हैं. यहां पर आप बाइक या घोड़े से पहुंच सकते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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