डीएनए हिंदी: सनातन धर्म में विवाह को बहुत ही पवित्र कर्मकांड माना गया है. इसलिए इस मौके पर उत्सव जैसा माहौल रहता है. विवाह के दौरान वर और वधु विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाजों का पालन करते हुए परिणय सूत्र में बंधते हैं. इनमें से सात फेरे, कन्यादान और सिंदूरदान प्रमुख माना जाता है. ऐसे में वर और वधु अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं और सिंदूरदान के बाद विवाह संपन्न माना जाता है. शादी के बाद फिर विवाहित महिलाएं रोजाना मांग में सिंदूर लगाती हैं और श्रृंगार करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाएं विवाह के बाद रोजाना क्यों मांग में सिंदूर लगाती हैं? अगर नहीं तो आइए जानते हैं इसके बारे में.
धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में दैवीय काल से ही सनातन विवाहित महिलाएं स्नान ध्यान करने के बाद सबसे पहले मांग में सिंदूर भरती हैं. आज भी महिलाएं स्नान-ध्यान करने के बाद मां पार्वती को सिंदूर अर्पित कर मांग भरती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में माता सीता भी मांग में सिंदूर लगाती थी और उन्हें सिंदूर लगाते देख हनुमान जी ने भी अपने पूरे शरीर में सिंदूर लेप लिया था. यही कारण है कि हनुमान जी को पूजा में सिंदूर अवश्य भेंट की जाती है.
मान्यता है कि मांग में सिंदूर लगाने से जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है और पति की आयु भी लंबी होती है. इसलिए विवाहित महिलाएं शादी के बाद रोजाना मांग में सिंदूर लगाती हैं.
वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक के अनुसार मांग में सिंदूर लगाने से दिमाग शांत रहता है और उच्च रक्तचाप भी कंट्रोल में रहता है. इतना ही नहीं सिंदूर में पारा धातु पाया जाता है. ऐसे में इस धातु की अधिकता से चेहरे पर झुर्रियां नहीं आती हैं. इसके अलावा नजर और बुरी बला को टालने के लिए भी महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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