Ashadha Amavasya 2024: आज आषाढ़ अमावस्या पर बन रहे शुभ योग, पूजा अर्चना और उपाय करने से प्रसन्न हो जाएंगे पितर

नितिन शर्मा | Updated:Jul 05, 2024, 06:01 AM IST

हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में आने वाली अमावस्या तिथि को पितर तर्पण के लिए बेहद शुभ माना जाता है. इनमें आषाढ़ अमावस्या का महत्व कही ज्यादा है. इसमें स्नानदान और पूजा अर्चना से पितर प्रसन्न होते हैं.

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व है. यह महीने अमावस्या आती है, लेकिन इसमें आषाढ़ अमावस्या को बेहद विशेष माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन पितर धरती पर अपने परिवार का हाल जानने आते हैं. यही वजह है कि इस दिन स्नान के साथ ही पितरों का स्नान दान और तर्पण करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं. पितर दोष भी दूर हो जाता है. वहीं परिवार से दुख और समस्याएं दूर हो जाती है. सुख और शांति का वास होता है. इस बार आषाढ़ अमावस्या और भी विशेष होने जा रही है. इसकी वजह इस तिथि पर दो शुभ योग का बनना है. इन शुभ योग में स्नान से लेकर पितरों का तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं. आइए जानते हैं कब है आषाढ़ अमावस्या तिथि से लेकर इसके शुभ योग और पितर दर्पण का लाभ...

इस दिन है आषाढ़ अमावस्या

इस साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 5 जुलाई को पड़ रही है. अमावस्या की तिथि 5 जुलाई को सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन यानी 6 जुलाई की सुबह 4 बजकर 26 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि को देखते हुए अमावस्या का स्नान दान, पितरों की पूजा और तर्पण 5 जुलाई कां किये जाएंगे. इस दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं.

आषाढ़ अमावस्या पर बन रहे ये 2 शुभ योग

आषाढ़ अमावस्या पर दो शुभ योग बन रहे हैं. इन दोनों ही योग में भगवान की पूजा अर्चना करने से लेकर नाम जाप बेहद शुभ साबित होगा. यह बेहद फलदायी साबित होता है. दोनों शुभ योग में पहले ध्रुव योग और इसके बाद शिव योग बन रहा है. इन दोनों ही योग में पितरों की पूजा अर्चना, स्नान और दान से विशेष फल प्राप्त होते हैं. पितर दोष से छुटकारा मिलता है. रोग, दोष और जीवन में चल रही समस्याएं अपने आप खत्म हो जाती है. वहीं शिव योग में महादेव और मां पार्वती कैलाश पर्वत पर विराजमान होते हैं. इस योग में उनकी पूजा अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 

ऐसे करें स्नान और पितरों का तर्पण

अमावस्या पर पितरों का तर्पण करना बेहद शुभ होता है. इससे पितर जीवन में आने वाले कष्टों को दूर करते हैं. अपने परिवार की रक्षा करते हैं. पितर तर्पण का सबसे अच्छा समय सुबह सूर्योदय का माना जाता है. इस समय में किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद पितरों के नाम पर जल अर्पित करें. किसी गरीब या ब्रह्मण को दान करें. साथ ही जल में काले तिल, कुश और सफेद फूल डालकर पितरों का नाम लें. उन्हें प्रणाम कर दक्षिण दिशा की तरह मुंह करके जल दें. इससे प्रसन्न होकर पितर जीवन के कष्ट और बाधाओं को दूर कर आशीर्वाद देते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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