डीएनए हिंदी : हमारे ग्रह-नक्षत्र हमारे विचार और व्यक्तित्व को काफी हद तक सम्भालते हैं. इनकी वजह से हमारी सामजिक राजनैतिक स्थितियां भी निर्धारित होती हैं. कई बार कुंडली के योग हमारे यौनिक व्यवहार के बारे में भी बहुत कुछ बताते हैं. आइए जानते हैं उन कुछ योगों के बारे में जिनकी वजह से पता चलता है कि व्यक्ति की काम भावना तेज़ या मध्यम होती है. आइए लेते हैं यह जानकारी आचार्य डॉ विक्रमादित्य के हवाले से -
जब ये ग्रह हों सप्तम भाव में
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब बुध और शनि दोनों ग्रहों का संबंध सप्तम भाव से हो तो जातक यौनक्रियाओं में नीरस एवं अयोग्य होते हैं, वहीं सूर्य का सप्तम भाव में होना जातक की उग्र यौनेच्छाओं को बढ़ावा देता है साथ ही वैवाहिक जीवन में समस्या उत्पन्न करवाता है. इसकी वजह से ही एक से अधिक सेक्सुअल रिश्ते बनते हैं.
इसी सप्तम भाव में अगर राहू और शुक्र दोनों ग्रह हों अथवा राहू के साथ चंद्र की युति हो और गुरु द्वादश भाव में स्थित हो तो सम्भव है काम करने की जगह पर यौन सम्बंध स्थापित हो जाए.
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कुंडली में हो यह योग तो Erectile Dysfunction का होता है खतरा
यौनिक समस्याओं का पता भी कुंडली के कई योगों से चलता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध और शनि का योग अगर द्वादश भाव में हो तो उक्त पुरुष को Erectile Dysfunction या शीघ्रपतन की दिक्कत होती है. इसी तरह अगर वर्णित योग में लग्न, सप्तम और अष्टम भाव में राहू उपस्थित हों तो व्यक्ति की सेक्स में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं होती है.
कुंडली फैक्ट्स के अनुसार मंगल को जोश, शुक्र को भोग का ग्रह माना जाता है. कुंडली का द्वादश भाव एक से अधिक सेक्स सम्बंधों की तस्दीक करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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