डीएनए हिंदी : हिंदू धर्म में गृह प्रवेश एक महत्वपूर्ण कर्म में आता है. विवाह, नामकरण और जनेऊ संस्कार की तरह इसे भी विधिवत करना चाहिए क्योंकि घर में प्रवेश का सही समय और दिन आपके पूरे जीवन पर प्रभाव डालता है.
अगर आप गलत तिथि या वार को गृह प्रवेश करते हैं तो इससे तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शारीरिक और मानसकि स्वास्थ्य ये लेकर धन और मान-सम्मान सब पर इसका असर पड़ता है तो चलिए जानें कि गृह प्रवेश किन तिथियों और वार को करना सही नहीं माना जाता है.
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तीन तरह का होता है गृह प्रवेश
अपूर्व गृह प्रवेश – जब पहली बार बनाये गये नये घर में प्रवेश किया जाता है तो वह अपूर्व ग्रह प्रवेश कहलाता है.
सपूर्व गृह प्रवेश – जब किसी कारण से व्यक्ति अपने परिवार सहित प्रवास पर होता है और अपने घर को कुछ समय के लिये खाली छोड़ देते हैं तब दुबारा वहां रहने के लिये जब जाया जाता है तो उसे सपूर्व गृह प्रवेश कहा जाता है.
द्वान्धव गृह प्रवेश – जब किसी परेशानी या किसी आपदा के चलते घर को छोड़ना पड़ता है और कुछ समय पश्चात दोबारा उस घर में प्रवेश किया जाता है तो वह द्वान्धव गृह प्रवेश कहलाता है.
उपरोक्त तीनों ही स्थितियों में गृह प्रवेश पूजा जरूर करानी चाहिए.
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गृह प्रवेश करते समय किन बातों का रखें ध्यान
गृह प्रवेश के लिये दिन, तिथि, वार एवं नक्षत्र को ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ माह में गृह प्रवेश को सबसे सही समय बताया गया है. आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष माह में गृह प्रवेश नहीं करने चाहिए. वहीं, मंगलवार के दिन भी गृह प्रवेश नहीं किया जाता विशेष परिस्थितियों में रविवार और शनिवार के दिन भी गृह प्रवेश वर्जित माना गाया है. सप्ताह के बाकि दिनों में से किसी भी दिन गृह प्रवेश किया जा सकता है। अमावस्या व पूर्णिमा को छोड़कर शुक्लपक्ष 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, और 13 तिथियां प्रवेश के लिये बहुत शुभ मानी जाती हैं.