Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला को लगाया जाएगा पान का भोग, 151 बनारसी पान किये गये तैयार, जानें इसका महत्व

Written By नितिन शर्मा | Updated: Jan 05, 2024, 09:25 AM IST

देशभर में श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोर शोर से चल रही है. भगवान के कपड़ों से लेकर उनके भोग प्रसाद की विशेष रूप से व्यवस्था की गई है. इन्हीं में भगवान के लिए पान का भी ऑर्डर किया गया है. रामलला को 151 पान खिलाये जाएंगे.

डीएनए हिंदी: (Ram Mandir Pran Prathista) नये साल की शुरुआत के साथ ही देशभर में श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या के श्री राम मंदिर में की जाएगी. इसके लिए देशभर से जरूरी सामानों की व्यवस्था की जा रही है. 22 जनवरी 2024 को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा में मौजूद रहेंगे. इस दौरान लाखों लोग अयोध्या में रहेंगे और करोड़ों लोग इसका प्रसारण देखेंगे. रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उन्हें 56 भोग लगाये जाएंगे. इसके बाद बनारस का प्रसिद्ध पान भोग लगाया जाएगा. भगवान के लिए एक या दो नहीं, बल्कि 151 पान तैयार किए गये हैं. 

यह है प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त 

अयोध्या में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को की जाएगी. इसका शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 30 मिनट से शुरू होगा. इसमें 8 से 32 सेकेंड के बीच रामलाल की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस दौरान भगवान को 56 भोग के साथ ही पान भी खिलाया जाएगा. भगवान के लिए स्पेशल रूप से पान तैयार कराये गये हैं. भगवान के बचपन स्वरूप को देखते हुए पानी में सुपारी को बारीक पिसकर डाला गया है. पान पर चांदी का वर्क चढ़ाकर तैयार किया जाएगा. आइए जानते हैं पान का भोग लगाने के पीछे का महत्व...

रामलला के लिए इन्होंने बनाया स्पेशल पान

अयोध्या में श्री राममंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इसके लिए बनारस में पान का भोग लगाया जाएगा. भगवान के लिए यह पानी बनारस के रिंकू चौरिया ने बनाया है. बताया जाता है कि इनकी दो पीढ़ियां श्रीराम को पिछले काफी समय से पान भोग भेजती है. इन्होंने ही भगवान श्री राम के लिए 151 पान तैयार किए हैं. वही 1000 पान का ऑर्डर अन्य का मिला है. यह पान भक्तों को प्रसाद स्वरूप वितरित किए जाएंगे. 

जानिए पूजा में पान के पत्ते का महत्व 

हिंदू धर्म में पान के पत्ते का बड़ा महत्व है. यही वजह है कि इसे हर छोटी से बड़ी पूजा में शामिल किया जाता है. बताया जाता है समुद्र मंथन के दौरान देवी देवताओं और असुरों ने समुद्र देव की पूजा की थी. इसमें पान के पत्ते का इस्तेमाल किया गया था. पान के पत्ते में ग्रहों से लेकर देवी देवताओं और भगवान विष्णु, शिव का वास होता है. यही वजह है कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या पूजा अर्चना में पान के पत्ते का इस्तेमाल जरूर किया जाता है. इस पत्ते को सबसे शुद्ध माना जाता है.

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