भगवान राम और रावण दोनों ने की थी इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा, दर्शन करने मात्र से पूर्ण हो जाती है सभी मनोकामना

नितिन शर्मा | Updated:Feb 03, 2024, 11:57 AM IST

बाबा भद्रेश्वर मंदिर का उल्लेख शिवपुराण से लेकर कई दूसरी कथाओं में भी किया गया है. इस मंदिर में महादेव का शिवलिंग त्रेतायुग का बताया जाता है. इस शिवलिंग का अब तक कोई छोर नहीं मिला है. महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल अर्पित करने वाले भक्तों की भारी भीड़ लगती है.

डीएनए हिंदी: त्रेतायुग से लेकर महाभारत हो या फिर कलयुग महादेव की पूजा हर युग में की गई है. महादेव के कई ऐसे मंदिर और शिवलिंग आज भी स्थापित हैं, जिनका कई युगों से संबंध बताया जाता है. ऐसा ही एक मंदिर उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के पास स्थित है. इसे भदेश्वर नाथ मंदिर है. शिवपुराण में भी इसका उल्लेख किया गया है. कथाओं के अनुसार, त्रेतायुग में जन्में भगवान श्री राम और रावण ने मंदिर में शिवलिंग की पूजा की थी. वहीं द्वापर युग में पांडवों ने निर्वासन के दौरान भदेश्वर नाथ शिवलिंग का अभिषेक किया था. श्री राम के गुरु महर्षि वशिष्ठ यहां महादेव की पूजा करने आते थे. यहीं वजह है कि यहां शिवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ लगती है. मंदिर में पहुंचते ही महादेव अपने भक्तों की मनोकामाओं को पूर्ण करते हैं. 

स्वयं प्रकट हुआ था शिवलिंग

बताया जाता है कि यहां महादेव के मंदिर या शिवलिंग की स्थापना नहीं की गई थी. यह स्वयं प्रकट हुआ था. वहीं कुछ लोगों का दावा है कि शिवलिंग की स्थापना लंकेश्वर रावण ने की थी. वह शिव को प्रसन्न कर कैलाश से शिवलिंग लेकर लंका जा रहे थे. इसी दौरान रावण कुछ देर विश्राम करने के लिए यहां पर रुके थे. उन्होंने यहां पर शिवलिंग रखा और विश्राम की मुद्रा में चले गये, लेकिन शिवलिंग यहां रखते ही स्थापित हो गया. इसके बाद रावण ने शिवलिंग की यही पर पूजा अर्चना की थी. 

यह भी मंदिर से जुड़ा रहस्य

दावा किया जाता है कि बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर में विराजमान शिवलिंग को कोई भी दोनों हाथों से नहीं पकड़ सकता है. इसकी वजह शिवलिंग का बड़ा आकार होना है. कोई शिवलिंग को दोनों हाथों से पकड़ने का प्रयास भी करता है तो वह विफल हो जाता है. इसकी वजह शिवलिंग का आकार और बड़ा हो जाता है. इसे दोनों हाथों से पकड़ना किसी भी तरह से संभव नहीं है. 

मंदिर से जुड़ी हैं अलग अलग कथाएं

यूपी के बस्ती जिले में स्थित भदेश्वर नाथ मंदिर के शिवलिंग की कई सारी कथाएं बताई जाती हैं. यहां के स्थानीय लोग अलग अलग कथा और तर्क देते हैं. कुछ लोगों का दावा है कि ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने भदेश्वर नाथ में मौजूद शिवलिंग को कटाने का प्रयास किया था. वह यहां कब्जा करना चाहते थे, लेकिन अचानक प्राकृतिक आपदाओं के चलते उन्होंने घुटने टेक दिये. अंग्रेजों को इस जगह को छोड़कर जाना पड़ा था. वहीं एक और कथा भी कही जाती है, जिसके अनुसार, किसी व्यक्ति ने मंदिर में मौजूद शिवलिंग को चोरी करने का प्रयास किया था. जब उसने शिवलिंग को उखाड़ना चाहा तो वह विफल हो गया. उसे खूब खुदाई करने के बाद भी शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिला. चोर यह देखकर घबरा गया. उसने भागने का प्रयास किया तो वह कार समेत यहां पत्थर बन गया. 

महाशिव रात्रि और श्रावण मास में लगती है भक्तों की भीड़ 

बताया जाता है कि इस मंदिर में महादेव के सामने​ सिर टेकते ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. यहां महाशिव रात्रि पर भारी भरकम भीड़ इकट्ठा होती है.भक्त दूर दूर से शिवलिंग के दर्शन कर माथा टेकने आते हैं. श्रावण मास में भी शिवलिंग पर भगवान महादेव की प्रिय भांग, धतुरा, दूध समेत प्रिय वस्तुओं को अर्पित किया जाता है. काफी संख्या लोग यहां पहुंचते हैं. महादेव के भक्त अयोध्या की सरयू नदी से जल लाकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं. मान्यता है कि इससे सच्चे मन से मांगी गई सभी इच्छाएं भगवान पूर्ण करते हैं. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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