Badrinath Dham में आज से शुरू होगा नए रावल का तिलपात्र, जानें क्या है यह खास परंपरा

Written By Abhay Sharma | Updated: Jul 13, 2024, 09:11 AM IST

 बद्रीनाथ धाम के नवनियुक्त रावल

Badrinath Dham में पूजा अर्चना शुरू करने और गर्भगृह में प्रवेश से पहले नवनियुक्त रावल का तिलपात्र किया जाएगा, यह खास परंपरा ढाई सौ साल से चली आ रही है...  

बद्रीनाथ धाम ( Badrinath Dham ) के मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने धाम में तैनात नायब रावल अमरनाथ नंबूदरी को नए रावल के लिए नियुक्त कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीकेटीसी अब नए रावल के तिलपात्र की तैयारियों में जुट गई है. ऐसे में आज और कल यानी 13 और 14 को तिलपात्र की प्रक्रियाएं होंगी. 

बता दें कि वर्तमान रावल इन प्रक्रियाओं के दौरान नए रावल को पाठ, मंत्र के साथ गुरु मंत्र भी देंगे और फिर नए रावल 14 जुलाई को शयनकालीन पूजा के लिए छड़ी के साथ मंदिर में प्रवेश करेंगे, जिसके बाद से वह धाम में पूजा-अर्चना शुरू कर देंगे. 

क्या होता है तिलपात्र?
बता दें कि मंदिर में पूजा अर्चना शुरू करने और गर्भगृह में प्रवेश से पहले नए रावल का तिलपात्र किया जाता है,  जिसमें कई तरह की प्रक्रियाएं संपन्न की जाती हैं. कहा जाता है कि धाम में ढाई सौ साल से रावल परंपरा चल रही है और नए रावल की तैनाती के लिए तिलपात्र परंपरा निभाई जाती है. 

कैसे किया जाता है तिलपात्र? 
बता दें कि इसके लिए आज यानी 13 जुलाई को सबसे पहले नवनियुक्त रावल का मुंडन किया जाएगा और फिर जनेऊ बदला जाएगा. इसके बाद नवनियुक्त रावल बद्रीनाथ धाम स्थित पंच धाराओं में स्नान करेंगे. स्नान आदि के बाद नवनियुक्त रावल बद्रीनाथ मंदिर में आएंगे और फिर मंदिर में धर्माधिकारी और वेदपाठी वैदिक मंत्रोचार के साथ तिलपात्र की प्रक्रियाएं संपन्न कराएंगे.  

इन सभी प्रक्रियाओं को करने के बाद हवन किया जाएगा. इसके बाद अगले दिन 14 जुलाई को सुबह वर्तमान रावल भगवान बदरीविशाल का अभिषेक करेंगे और बालभोग लगाएंगे. इस दौरान वहां नए रावल भी मौजूद रहेंगे. 

वर्तमान रावल देंगे नवनियुक्त रावल मंत्र व गुरुमंत्र 

बालभोग लगाने के बाद वर्तमान रावल नवनियुक्त रावल को पाठ, मंत्र व गुरुमंत्र देंगे, जिसके बाद नए रावल अपने निवास पर चले जाएंगे. फिर 14 जुलाई को शयनकालीन पूजा करने के लिए नए रावल छड़ी के साथ मंदिर में प्रवेश करेंगे और बद्रीनाथ धाम में होने वाली सभी पूजाएं शुरू करेंगे. 

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