डीएनए हिंदीः बागेश्वर धाम सरकार (Bageshwar Dham Sarkar) के पंडित धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) पिछले लंबे समय से चर्चा में रहे हैं. हाल में ही वह बिहार में कथा करने के कारण भी चर्चा में हैं. बिहार में पंडित धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) की कथा में करीब 10 लाख से भी ज्यादा लोगों ने शिरकत की. हालांकि भारी भीड़ के कारण दरबार को कैंसिल करना पड़ा. इस बात से पंडित धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) की सफलता और उनके भक्तों की अंदाजा लगाया जा सकता है. हालांकि एक समय ऐसा भी था जब बागेश्वर धाम वाले बाबा (Bageshwar Dham Baba) को एक समय का खाना मिलना मुश्किल था. तो चलिए पंडित धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) की कहानी के बारे में आपको बताते हैं.
बागेश्वर धाम का इतिहास (Bageshwar Dham History)
मध्य प्रदेश के छतरपुर के पास एक गढ़ा जगह है यहीं पर बागेश्वर धाम हैं. बागेश्वर धाम में हर मंगल और शनिवार को भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. यहां पर मौजूद बालाजी हनुमान मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. मंदिर में साल 1987 में संत सेतु लाल जी आए थे. इन्हें भगवान दास जी महाराज के नाम से भी जाना जाता है. इन्होंने चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े से दीक्षा प्राप्त की थी. यहां से दीक्षा प्राप्त करने के बाद ही वह गड़ागंज पहुंचे थे. बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री इनके ही पौत्र हैं. साल 2012 से बागेश्वर धाम की सिद्ध पीठ पर श्रद्धालुओं की समस्या का निवारण करना शुरू हुआ था.
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पंडित धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri)
वर्तमान समय में बागेश्वर धाम की बागडोर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के हाथों में है. पंडित धीरेंद्र शास्त्री का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपूर जिले के गड़ागंज गांव में हुआ था. पंडित धीरेंद्र शास्त्री का बचपन आर्थिक तंगी में बीता है. एक समय पर उन्हें खाना तक नहीं मिल पाता था. पंडित धीरेंद्र शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग और मां सरोज गर्ग हैं. ऐसा कहा जाता है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने 11 साल की उम्र में ही बागेश्वर धाम की पूजा करना शुरू कर दिया था. बता दें कि, पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार में भक्तों का पर्चा पढ़कर उनक समस्याओं समाधान करते हैं.
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