डीएनए हिंदी: बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री से शादी की मनोकामना को लेकर सुर्खियों में आई शिवरंजनी 46 दिन तक पैदल चलकर बागेश्वर धाम तो पहुंच गई, लेकिन यहां बाबा से मुलाकात न होने के बाद शिवरंजनी ने अपने घर लौटने का फैसला कर लिया है. वहीं उन्होंने कहा कि वह यहां बाबा से शादी की मनोकामना नहीं, बल्कि बागेश्वर धाम में जल चढ़ाने के साथ माथा टेकेने आई थी. दरबार अभी नहीं लग रहा है तो वह वापस हरिद्वार लौट रही हैं.
दरअसल, एमबीबीएस की स्टूडेंट शिवरंजनी भजन भी गाती हैं. 46 दिनों पहले उन्होंने अपने घर से सिर पर कलश रखकर बागेश्वर धाम के लिए कलश यात्रा शुरू की थी. इस बीच छतरपुर पहुंचते ही शिवरंजनी की तबियत खराब हो गई. करीब 1200 किलोमीटर की दूरी तक कर शिवरंजनी जब तक बागेश्वर धाम पहुंची. तब तक धीरेंद्र शास्त्री एकांतवास पर चले गए. ऐसे में शिवरंजनी की मुलाकात पंडित धीरेंद्र शास्त्री से नहीं हो पाई. आज वह बागेश्वर महादेव मंदिर में जला अभिषेक कर अपने पिता और भाई के साथ वापस लौट जाएगी.
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धीरेंद्र शास्त्री से शादी की बात पर बोली शिवरंजनी
पंडित धीरेंद्र शास्त्री से शादी के सवाल पर शिवरंजनी ने कहा कि मैंने शादी की बात कभी नहीं बोली. मैं पंडित धीरेंद्र शास्त्री को अपना प्राणनाथ मानती हूं. वह वह सबका पर्चा निकालते हैं मेरा भी निकालेंगे, जिसमें मेरी दिल की इच्दा अपने आप पता लग जाएगी. मैं बचपन से ही धर्म की यात्राओं को करते हुए आ रही हूं. अब भी मैं बागेश्वर धाम के दर्शन करने आई हूं. पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री से फिर से बुलाएंगे तो जरूर आउंगी. उनके दर्शन करने की इच्छा भी पूरी करूंगी.
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बागेश्वर सरकार पूरी करेंगी मेरी इच्छा
शिवरंजनी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैंने भगवान बागेश्वर से कैंसर स्पेशलिस्ट बन ने की मनोकामना मांगी है. इसे पहले भी मैं बागेश्वर बाबा को मानती आई हूं. उन्होंने मेरी मनोकामनाएं भी पूर्ण की है. इस मनोकामना को भी बाबा पूर्ण करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि अब जब बागेश्वर सरकार गद्दी पर नहीं बैठे हैं. दरबार भी नहीं लगा है तो यहां रूककर क्या करूंगी. बाबा जब बुलाएंगे तो फिर से उनके दर्शन करने आउंगी.
जानें कौन हैं शिवरंजनी
शिवरंजनी तिवारी MBBS की छात्रा हैं. वह भजन गायिका के रूप में भी जाना जाता है. उनके पिता बैजनाथ तिवारी की माने तो उनके परिवार का संबंध एमपी के सिवनी में जन्में ब्रह्मलीन जगदगुरुस्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज से है. हालांकि पिछले 25 सालों से उनका परिवार हरिद्वार में रह रहा है.
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