डीएनए हिंदीः यूं तो ज्ञान की देवी सरस्वती की पूरे साल पूजा की जाती है. माघ मास के शुक्ल पक्ष के दिन विद्या की देवी सरस्वती का अवतरण माना जाता है. इस दिन सरस्वती की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इसी दिन लक्ष्मी जी का भी जन्म हुआ था. इसी दिन वासना और रूप के कामदेव मदन का जन्म हुआ था. लोगों का दांपत्य जीवन सुखमय हो इसलिए लोग इस दिन उनकी भी पूजा करते हैं. बसंत पंचमी को 'श्रीपंचमी' भी कहा जाता है.
बसंत पंचमी से जुड़ी मान्यता
ऐसी मान्यता है कि सृष्टि रचियता भगवान ब्रह्मा ने जीवों और मनुष्यों की रचना की थी. ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना कर संसार को देखा तो उन्हें चारों ओर सुनसान दिखाई दिया था. सब शांत लगने पर ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से अनुमति लेकर अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिडकते हैं. पृथ्वी पर गिरने वाले जल से कंपन होती है और उसके बाद एक सुंदर देवी प्रकट होती हैं. उन देवी के वीणा बजाने से ही संसार के सभी जीव जंतुओं को वाणी प्राप्त हुई है. वह देवी कोई और नहीं, ज्ञान की देवी सरस्वती थीं. यहीं कारण है कि हम हर साल बसंत पंचमी मनाते हैं.
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जानिए शुभ मुहूर्त
इस साल बसंत पंचमी 5 फरवरी को सुबह 3 से प्रारंभ होकर 6 तारीख को सुबह 3 बजकर 46 मिनट तक तक रहेगी. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. हालांकि इस दिन किसी भी समय कोई भी कार्य किया जा सकता है. बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और पूर्वाह्न से पहले की जाती है.
बसंत पंचमी पर की जाती है सरस्वती पूजा
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की जाती है. शास्त्रों में सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना गया है. माना जाता है कि इस दिन पूरे विधि-विधान से सरस्वती पूजा करने से लोगों की बुद्धि बढ़ती है और उनमें निर्णय लेनी की क्षमता आती है. बुद्धि में वृद्धि के लिए लोग इस दिन बढ़-चढ़कर प्रार्थना करते हैं. सरस्वती का आह्वान कर कलश की स्थापना कर पूजा की जाती है.
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बहुत शुभ होता है यह दिन
वसंत पंचमी के दिन आप किसे भी प्रकार के कार्य की शुरूआत कर सकते हैं. यह दिन साल में सबसे शुभ दिनों में से एक होता है. नई शिक्षा और गृह प्रवेश के लिए यह दिन अच्छा माना जाता है. वसंत पंचमी को शुभ मानने का कारण है इसका माघ महीने में आना. माघ मास का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. इस महीने तीर्थ यात्राएं भी की जाती है.