Basant panchami 2022: बसंत पंचमी पर क्यों पूजे जाते हैं कामदेव?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 30, 2022, 04:29 PM IST

Basant Panchmi 2022 connection with Kaamdev

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से बसंत पंचमी के दिन कामदेव की पूजा करने की परंपरा है. शास्त्रों में कामदेव को प्रेम का स्वामी माना गया है.

डीएनए हिंदी: माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी (Basant Panchmi) के तौर पर मनाया जाता है. इस बार यह त्योहार 5 फरवरी, शनिवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन खासतौर पर सरस्वती पूजा की जाती है. कहा जाता है कि बंसत पंचमी के दिन देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं इसलिए इस दिन खास सरस्वती जी की पूजा की जाती है. इसके अलावा इस दिन कामदेव की उपासना भी की जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है? अगर नहीं जानते तो कोई बात नहीं हम आपको बता देते हैं.

कामदेव को क्यों मिला यह खास स्थान

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से बसंत पंचमी के दिन कामदेव की पूजा करने की परंपरा है. शास्त्रों में कामदेव को प्रेम का स्वामी माना गया है. माना जाता है कि अगर वे नहीं हों तो सृष्टि की उन्नति रुक जाएगी. साथ ही प्राणियों में प्रेम भावना खत्म हो जाएगी. यही वजह है कि कामदेव को विशेष महत्व दिया जाता है. 

बसंत पंचमी के दिन क्यों की जाती है कामदेव की पूजा?

शास्त्रों के मुताबिक बसंत ऋतु का संबंध कामदेव से है. बसंत ऋतु के आने के साथ ही मौसम सुहाना हो जाता है. प्रकृति में एक अलग तरह की खूबसूरती नजर आती है. मनुष्य के साथ-साथ दूसरे प्राणियों में भी खुशी का संचार होता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कामदेव मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पुत्र हैं. इनकी शादी देवी रती से हुई थी. देवी रती आकर्षण और प्रेम की देवी हैं. हालांकि कुछ कथाओं में कामदेव को ब्रह्माजी का पुत्र बताया गया है. 

भगवान शिव ने दिया था कामदेव को वरदान

पौराणिक कथाओं के मुताबिक कामदेव ने एक बार भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी. इस वजह से शिव का मन चंचल हो गया. भगवान शिव को जब सत्य की जानकारी हुई तो उन्होंने अपने क्रोध से कामदेव को भस्म कर दिया. यह जानकर कामदेव की पत्नी रती विलाप करने लगीं. कहते हैं कि रती की विनती पर भगवान शिव ने कामदेव को भाव रूप में प्रकृति में वास करने का वरदान दिया. 

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बसंत पंचमी