Kanya Pujan Vidhi: कन्या पूजन में कन्याओं के साथ क्यों जरूरी है एक बालक, जानें पूजा में बटुक भैरव का महत्व

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 22, 2023, 05:37 PM IST

कन्या पूजन में कन्याओं के साथ क्यों जरूरी है एक बालक, जानें बटुक भैरव का महत्व

Batuk Bhairav In Kanya Pujan: कन्या पूजन के साथ बटुक पूजा करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. यहां जानिए कन्या पूजन के साथ बटुक पूजा क्यों जरूरी होता है और इसका महत्व क्या है..

डीएनए हिंदी: नवरात्रि में नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है और अंत में अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन के साथ लोग हवन करते हैं. नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है और इससे सुख-समृद्धि की (Maha Navami 2023) प्राप्ति होती है. हर घर में कन्या पूजन में कन्याओं का स्वागत किया जाता है और (Batuk Bhairav) इन्हें देवी का स्वरूप मानकर इनकी पूजा की जाती है. इसके अलावा आपने देखा होगा कि कन्या पूजन के साथ एक लड़के का भी पूजन किया जाता है, जिसे बटुक पूजा, भैरव या लंगूर कहते हैं और इसका पूजन करना बहुत जरूरी होता है. बटुक के बिना कन्या पूजन(Kanya Pujan) अधूरा माना जाता है. कन्या पूजन के साथ बटुक पूजा क्यों जरूरी होता है और इसका महत्व क्या है आइए जानते हैं इसके बारे में.. 

बटुक भैरव की पूजा

मान्यता अनुसार, कन्या पूजन में कन्याओं के साथ एक बालक की पूजा करना जरूरी माना जाता है और पूजा में बैठे बालक को बटुक भैरव का रूप माना जाता है. बता दें कि बाबा भैरव नाथ का सौम्य रूप बटुक भैरव का माना जाता है और देवी मां के जितने शक्तिपीठ हैं और जितने प्रसिद्ध मंदिर हैं, वहां द्वार में प्रवेश करते ही भैरव नाथ के मंदिर जरूर स्थापित होते हैं. मान्यता है कि भैरव नाथ मां देवी के शक्तिपीठों की रक्षा करते हैं. इसलिए उनके दर्शन किए बिना देवी मां के दर्शन पूर्ण नहीं माना जाता है. यही वजह है कि कन्या पूजन के दौरान बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है.

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इसके अलावा बालक की पूजा बजरंगबली का स्वरूप मानकर की जाती है, इसलिए कंजको या कन्याओं के साथ बिठाए जाने वाले बालक को लंगूर या लांगुरिया भी कहा जाता है. बता दें कि मां की पूजा हनुमान जी के बिना और भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती है और इसलिए कन्या पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है. 

कन्या पूजन में करें छोटी कन्याओं की पूजा 

कन्या पूजन में नौ छोटी कन्याओं की पूजा होती है और शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन में दो वर्ष से लेकर दस वर्ष तक की छोटी कन्याओं को पूजने का विधान है. इसलिए देवी मां के रूप में लोग एक से नौ संख्या में छोटी कन्याओं की पूजा करते हैं. इसके अलावा भोजन कराते हैं और श्रद्धा अनुसार उन्हें दक्षणा भेंट करते हैं.

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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

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