डीएनए हिंदी: भाद्रपद के महीने में आज यानी गुरुवार को अमावस्या है. इसी तिथि को बहुत ही खास माना जाता है. भादो माह में पड़ने वाली अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या, पिठोरी, कुशोत्पतिनी अमावस्या भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में इस अमावस्या का बड़ा महत्व है. इसे अमावस्या पर विशेष रूप से गंगा स्नान करने के साथ ही तर्पण और दान करना चाहिए. इसका बहुत लाभ मिलता है. मनोकामना पूर्ति के साथ ही नाराज पितृ भी प्रसन्न हो जाते हैं. संतान की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं इस अमावस्या की तिथि, महत्व और पूजा विधि...
भादो अमावस्या की तिथि शुभ समय
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 14 सितंबर गुरुवार को सुबह 4 बजकर 48 मिनट से शुरू होगी. यह अगले दिन यानी शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 9 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि की वजह से अमावस्या को 14 सितंबर गुरुवार को ही मनाया जाएगा. इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा अर्चना करना बहुत शुभ होता है. ऐसे में गुरुवार को प्रदोष शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त की विधि 2 घंटे 20 मिनट तक रहेगी. ऐसे में इस समय में पूजा करना बहुत ही शुभदायक और फलदायक होगा.
अमावस्या पर स्नान और दान करने का ये है शुभ मुहूर्त
अमावस्या पर स्नान दान करने का भी विशेष मुहूर्त बन रहा है. इस मुहूर्त में स्नान करने और दान करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पाप नष्ट होते हैं और जीवन में शांति व सुख की प्राप्ति होती है. इसके लिए 14 सितंबर के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 04 बजकर 32 मिनट से 05 बजकर 19 मिनट तक स्नान करना बेहद शुभ है. वहीं अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर के 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शाम 3 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. गोधूलि मुहूर्त शाम 6 बजकर 28 मिनट से 6 बजकर 51 मिनट तक रहेगा.
अमावस्या पर यह करना होता है शुभ
शास्त्रों की मानें तो अमावस्या पर सुबह गंगा स्नान करना बहुत ही शुभ होता है. इस दिन पिंडदान और तर्पण करने बड़ा पुण्य मिलता है. पितृदोष से मुक्ति मिलती है. सभी तरह की समस्याओं को निवारण होता है. घर में सुख शांति और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
अमावस्या की पूजन विधि
भाद्रपद के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें. इसके बाद सूर्य भगवान को जल दें. साथ ही महादेव को जलाभिषेक करें. इस दिन दोपहर के समय काले तिल, कुश और फूल चढ़ाकर पितरों की शांति के लिए तर्पण करें. इसे पितृ प्रसन्न होते हैं. घर पर विशेष कृपा करते हैं. इसे कामों में आ रही बाधा, बीमारी और समस्याओं को अंत हो जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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