डीएनए हिंदीः ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को 'भद्रकाली एकादशी' के रूप में भी मनाया जाता है. देवी भद्रकाली की पूजा से सभी ग्रह दोष और कुंडली के दोष से मुक्ति मिलती है. साथ ही देवी की पूज शत्रुओं और रोगों का नाश करती हैं और अपने भक्तों की सारी मनोकामनाओं को पूरा भी करती हैं.
ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मौजुमदार बताती हैं कि देवी भद्रकाली जयंती की महिमा का उल्लेख 'पुराणों में है और देवी को तंत्र शास्त्र में शेष स्थान दिया गया है. भद्रकाली मंत्रों का उल्लेख पुराणिक ग्रंथों तथा तंत्र शास्त्र में दिया गया है. देवी के मंत्र जाप करने से व्यक्ति के भीतर की शक्ति में विस्तार होता है तथा सोई हुई ऊर्जाएं भी प्रवाहित होने लगती हैं.
मंत्र जाप द्वारा ज्ञान, विद्या, शक्ति प्राप्त होती है नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है. जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का मार्ग सुलभ होता है. मंत्र शक्ति द्वारा सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है तथा जीवन में शुभता का आगमन होता है. घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन करना चाहिए.
भद्रकाली देवी कौन हैं?
माता कालिका के अनेक रूप हैं- दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली, महाकाली, श्यामा काली, गुह्य काली, अष्टकाली और भद्रकाली आदि अनेक रूप भी है. मां काली के सभी रूपों की अलग अलग पूजा और उपासना पद्धतियां हैं. दस महाविद्या में से एक भद्रकाली शांत स्वरूप हैं. इस रूप में मां काली शांत हैं और वर देती हैं.
कैसे करें मां भद्रकाली की पूजा?
1. आज सुबह स्नान-ध्यान कर के देवी का स्मरण करते हुए व्रत-पूजन का संकल्प लें, इसके बाद देवी की मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें. मूर्ति या तस्वीर को को स्नान कराएं और देवी के सामने धूप, दीप जला दें. फिर देवी के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं. फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं. फिर उनकी आरती उतारें. पूजन में अनामिका अंगुली से चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी लगाएं.
पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं. ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है. अंत में आरती करें. जिस भी देवी या देवता के तीज त्योहार पर या नित्य उनकी पूजा की जा रही है तो अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है.
भद्रकाली माता का मंत्र और स्तुति :
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते.
भद्रं मंगलं सुखं वा कलयति स्वीकरोति भक्तेभ्योदातुम् इति भद्रकाली सुखप्रदा- जो अपने भक्तों को देने के लिए ही भद्र सुख या मंगल स्वीकार करती है, वह भद्रकाली है.
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:.नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मताम्..
ॐ काली महा काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते
भद्रकाली महाकाली किलिफत स्वाहा ।।
क्षुत्क्षामा कोटराक्षि मस्मिलिन मुखी मुक्तकेशी रुदनती
नाहं तृतीया वदन्ति जगदीखिलमिदं ग्रासमेकं करोमि ।
हस्ताभ्यां धार्यंती ज्वलदनल शिखापन्निभं पाश जोड़ीं
दन्तैजम्बुफलभै: परहरतु भभय पातु मांड भद्रकाली
विंशाक्षर मंत्र
क्रिं क्रीं क्रींबॉ हन्नी हन्नीं भद्राकाल्यै क्रिंक्रीं क्रीं क्रीं हन्नीं हंनी स्वाहा ।
ऐं हन्नी ऐं येहिजन्मातर्जगतं जननि होम्न बलिं सिद्धि देहि देहि शत्रु क्षतं कुरु कुरुख हंनीं हनीं फट् काएै नमः फट् स्वाहा
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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