Bhagwan Ram Jal Samadhi: अयोध्या के इस घाट पर भगवान राम ने ली थी जल समाधि, आज भी यहां बहती है अविरल धारा

ऋतु सिंह | Updated:Jan 16, 2024, 12:10 PM IST

Bhagwan Ram Jal  Samadhi 

राम ने 11 हजार वर्षों तक अयोध्या पर शासन किया था उसके बाद जल सामाधि ले लिए थे.

डीएनए हिंदीः अयोध्या भगवान राम की महिमा गाती है. श्री राम के जन्म से लेकर उनके वैकुंठ धाम की यात्रा तक की साक्षी रही सरयू की अविरल धारा आज भी अयोध्या में विद्यमान है. भगवान राम ने अपने जन्म से लेकर वैकुंठ लोक जाने तक के लिए अयोध्या शहर को ही चुना. इसलिए यह भूमि सभी धार्मिक स्थलों में सर्वोच्च स्थान रखती है.
 
रामायण के अनुसार जब भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या आये थे. फिर उन्होंने 11 हजार वर्षों तक अयोध्या पर शासन किया और जब उनकी मृत्यु का समय आया तो वे अयोध्या के एक पवित्र घाट पर आये. जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
 
श्रीराम ने 11 हजार वर्ष तक अयोध्या में शासन किया 

हत्वां क्रूरं दुर्दर्शं देवर्षीणां घष्टकम्.
दशवर्षसहस्राणी दशवर्षशतानि च.
वत्स्यामि मनुष्ये लोके पालयं पृथिवीमम्.
 
वाल्मिकी रामायण में वर्णन है कि भगवान राम ने रावण का वध कब किया था. फिर वह 14 साल का वनवास बिताने के बाद अयोध्या शहर लौट आए. वह 11 हजार वर्षों तक अयोध्या नगरी में रहे और शासन किया.
 
गुप्तार घाट जहां से श्री राम अपने वैकुंठ धाम (अयोध्या) पहुंचे थे.
 
रामायण के अनुसार, जब भगवान राम के शरीर त्यागने का समय आया, तो वे अयोध्या के गुप्तार घाट पर आये. यहां सभी अयोध्यावासी और उनकी लीला में शामिल जीव-जंतु भी उनके साथ इस गुप्तार घाट पर पहुंचे. उनके साथ आए सभी लोग 33 प्रकार के देवी-देवता थे जो उनकी लीला में भाग लेने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. भगवान राम के अयोध्या शहर से अपने वैकुंठ धाम पहुंचने का समय हो गया था. सबसे पहले उन्होंने अपने जूते उतारे और गुप्तार घाट के किनारे पानी में उतरने लगे.
 
हनुमानजी को कलयुग तक जीवित रहने का आदेश दिया गया  
तब हनुमानजी ने कहा प्रभु मैं आपके बिना क्या करूंगा आप मुझे अपने साथ ले लीजिए. तब श्रीराम ने हनुमानजी से कहा, हनुमान तुम्हें कलयुग तक जीवित रहना है. धर्म का पालन करने वाले भक्तों की रक्षा के लिए तुम्हें कलियुग तक रक्षा करनी होगी. मैं धर्म की स्थापना के लिए द्वापर में कृष्ण और कलियुग में कल्कि के रूप में पुनः आऊंगा. यहां हनुमानजी ने भगवान राम की आज्ञा स्वीकार कर ली.  
 
अंतिम समय में उन्होंने अपना विष्णु रूप प्रकट किया 
जैसे ही भगवान राम सरयू जल में उतरे, वे अपने असली विष्णु रूप में प्रकट हो गए. इसके बाद भगवान ब्रह्मा ने उन्हें प्रणाम किया और 33 करोड़ देवी-देवताओं को उनके उत्तम लोक में पुनः स्थापित करने का वचन दिया. इसके बाद श्री राम सरयू जल में अन्तर्धान हो गये और अपने वैकुण्ठ लोक पहुँच गये.
 
 राम मंदिर की गुप्तार घाट से दूरी करीब 8 किलोमीटर है 
अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले भगवान राम के भक्त अंततः इस स्थान के दर्शन करके अपना जीवन धन्य मानते हैं. शास्त्रों में इस स्थान को धरती का स्वर्ग और भगवान विष्णु का निवास स्थान कहा गया है. यहां लोग सरयू में स्नान करते हैं. यहां भगवान राम और माता जानकी का प्राचीन मंदिर है. इसके पास आपको पंचमुखी हनुमानजी मंदिर, भगवान विष्णु का गुप्तहरि मंदिर, मरी माता मंदिर, भगवान नरसिम्हा मंदिर और पंचमुखी महादेव मंदिर भी मिलेंगे. मान्यता है कि यहां दर्शन करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और इस उत्तम धाम में आने से भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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