Bhaum Pradosh Vrat: अक्टूबर माह की इस तारीख में रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि से लेकर शुभ मुहूर्त और महत्व

नितिन शर्मा | Updated:Oct 08, 2024, 08:01 AM IST

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना और व्रत करने पर विशेष लाभ प्राप्त होते हैं.

Bhaum Pradosh Vrat 2024: हर माह की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. इसमें भगवान की पूजा अर्चना और उपासना की जाती है. साथ ही संकल्प लेकर व्रत किया जाता है. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. विधि विधान से पूजा अर्चना करने पर भगवान शिव का अशीर्वाद प्राप्त होता है. सच्चे मन से शिव की भक्ति करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. जीवन में सुख शांति आती है. इस बार प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन 15 अक्टूबर को रखा जाएगा. यह भौम प्रदोष व्रत होगा. आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि... 

भौम प्रदोष का शुभ मुहूर्त  (Bhaum Pradosh Shubh Muhurat)

भौम प्रदोष में भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. ऐसे में भगवान शिव की उपासना के लिए भक्तों को ढ़ाई घंट का समय मिलेगा. यह समय बेहद शुभ साबित होगा. 

भौम प्रदोष व्रत का ये है शुभ योग (Bhaum Pradosh Shubh Yog)

इस बार भौम प्रदोष व्रत पर 4 ऐसे शुभ योग बन रहे है, जिनमें महादेव की पूजा अर्चना करने ​से विशेष लाभ मिलेंगे, भगवान जीवन में चल रही समस्याएं, संकट और कष्ट नष्ट हो जाएंगे. इस बाद वृद्धि योग रहेगा. यह सुबह से शुरू होकर दोपहर 2 बजकर 14 ​मिनट तक रहेगा. वहीं इसके बाद ध्रुव योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. इनमें रवि योग की शुरुआत रात 10 बजकर 8 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 6 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग 10 बजकर 7 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 16 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. वहीं पूर्व भाद्र पक्ष नक्षत्र है. यह सुबह 10 बजकर 8 मिनट से शुरूर होकर शाम तक रहेगा. 

भौम प्रदोष व्रत और पूजा विधि (Bhaum Pradosh Puja Vidhi)

अगर आप व्रत प्रदोष व्रत रख रहे हैं तो इस दिन सुबह उठते ही स्नान करें. इसके बाद भगवान शिव और मां पार्वती का ध्यान करें. इसके बाद पवित्र जल और दूध लेकर उसमें फूल, अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शाम के समय घर में घी का दीपक जलाकर भगवान की शिव का अभिषेक और पूजा करें. भौम प्रदोष व्रत की कथा सुनें. इससे आपका व्रत संपूर्ण होगा. भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होगी. 
 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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