Bhishma Panchak 2022: कब है भीष्म पंचक शुरू, पूजा विधि और क्यों है 5 दिन खास

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 03, 2022, 04:30 PM IST

 04 नवंबर से शुरू हो रहा है भीष्म पंचक

4 नवंबर से भीष्म पंचक लग रहा है इस दौरान पूजा-पाठ इत्यादि करना अत्यंत शुभ माना जाता है, भीष्म पंचक क्यों मनाया जाता है और क्या है पूजा विधि जानें यहां

डीएनए हिंदी:  सनातन धर्म में पंचक लगना अशुभ माना जाता है. ऐसे में पंचक लगते ही शुभ और मांगलिक कार्यों पर पाबंदी लग जाती है. लेकिन ज्योतिषविदों का कहना है कि सभी पंचक अशुभ नहीं होते हैं. भीष्म पंचक और सामान्य पंचक में बड़ा फर्क है. इस बार भीष्म पंचक कल यानी  04 नंवबर से लगने वाला है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भीष्म पंचक बेहद खास व शुभ होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भीष्म पंचक में व्रत और पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और व्यक्ति की तमाम समस्याएं दूर होती हैं. 

भीष्म पंचक कार्तिक शुक्ल एकादशी से शुरू होता है और पूर्णिमा तक चलता है इसके अलावा इस व्रत का समापन कार्तिक पूर्णिमा पर दान-स्नान के बाद ही होता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन भीष्म पितामह ने भी व्रत किया था इसलिए इसे भीष्म पंचक के नाम से जाना जाने लगा...

यह भी पढ़ें- कार्तिक शुक्ल दशमी पर हुआ था कंस का वध, आकाशवाणी को श्रीकृष्ण ने किया सच


ऐसे हुई भीष्म पंचक की शुरुआत (Bhishma Panchak story and Significance)

महाभारत के अनुसार पांडवों की जीत के बाद भगवान श्री कृष्ण पांडवों को भीष्म पितामह के पास ले गए उस समय पितामह शरसैया पर लेटे हुए थे ऐसे में तब श्री कृष्ण ने पितामह से पांडवों को ज्ञान देने को कहा. शरसैया पर होने के बावजूद भी उन्होंने कृष्ण का अनुरोध स्वीकार किया और पांडवों को राज धर्म, वर्ण धर्म और मोक्ष धर्म का अनमोल ज्ञान दिया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार  पितामह के ज्ञान देने का ये सिलसिला एकादशी से पूर्णिमा तक निरंतर चलता रहा. भगवान श्रीकृष्ण ने पितामह से कहा कि आपने इन पांच दिनों में पांडवों को जो ज्ञान दिया है इससे ये अवधि अत्यंत शुभ और मंगलकारी हो गई है. तब से  इन पांच दिनों की अवधि को भीष्म पंचक कहा जाने लगा. ऐसी मान्यता है कि जो भी भीष्म पंचक व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 

यह भी पढ़ें- Ekadashi Vrat Vidhi: कैसे करें एकादशी व्रत का उद्यापन, पूजन सामग्री और विधि क्या है

भीष्म पंचक पूजन विधि (Bhishma Panchak Puja Vidhi)

भीष्म पंचक का व्रत रखने वाले साधकों को एकादशी पर स्नान आदि करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र करें और फिर  श्रीकृष्ण और पितामह भीष्म की पूजा-पाठ कर उनका ध्यान करें और निमित्त व्रत का संकल्प लें. इसके अलावा दीवार पर मिट्टी से सर्वतोभद्र की वेदी बनाकर कलश की स्थापना करें और  फिर ओम विष्णवे नम: मंत्र का जाप करें और अंत में तिल व जौ की 108 आहुतियां देकर हवन करें. इस दौरान व्रत शुरू होने से लेकर समापन तक रोजाना दीपक जलाएं. यह व्रत समस्त प्रकार के सुख भोग और आध्यात्मिक, आत्मिक उन्नति के लिए किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Bhishma Panchak 2022 Bhishma Panchak Puja Vidhi Bhishma Panchak story Bhishma Panchak Significance