Bhog Lagne ke Niyam: हिंदू धर्म में भगवान की पूजा के साथ ही भोग लगाने का विशेष महत्व होता है. हम घर में जो भी सात्विक भोजन बनाते हैं, उसे भगवान को भोग लगाने के बाद ही ग्रहण करते हैं. इससे भगवान की कृपा प्राप्त होने के साथ ही घर की बरकत बढ़ती है. देवी देवताओं को दिन में 3 से 4 बार भोग लगाना चाहिए, लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान का भोग लगाने का भी नियम होता है. इन्हीं के तहत ही भगवान को भोग लगाना चाहिए. कुछ देर तक भगवान समक्ष रखने के बाद इसे प्रसाद स्वरूप वितरीत कर देना चाहिए. आइए जानते हैं अगर आप भी लड्डू गोपाल या फिर घर में भगवान को भोग लगाते हैं या लगाना चाहते हैं तो इसका नियम जान लें...
भगवान को जरूर लगाना चाहिए
शास्त्रों के अनुसार, भगवान की पूजा अर्चना के साथ ही उन्हें भोग जरूर लगाना चाहिए, जो लोग घर में लड्डू गोपाल जी को रखते हैं. उन्हें नियमित रूप ये भगवान की पूजा, स्नान के साथ ही 4 टाइम भोग लगाना चाहिए. भोग प्रसाद तैयार करने से लेकर लगाने तक शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. भगवान को सात्विक भोजन का ही भोग लगाएं.
कितने देर रखें भगवान के समक्ष भोग
ज्यादातर लोग असमंजस में रहते हैं कि भगवान को भोग कैसे लगाएं. इसका एक नियम है, जिस तरह व्यक्ति 10 से 15 मिनट में खाना खत्म कर देता है. ठीक उसी तरह भगवान के सामने प्यार से भोजन रखें. 5 बार घंटी बजाने के साथ ही प्रेम और श्रद्धा से भगवान को भोग अर्पित करें. उनके समक्ष 10 से 15 मिनट तक भोजन को रखा रहने दें. इसके बाद भोग को हटाकर प्रसाद स्वरूप लोगों में बांट दें. जिस तरीके से हम खाना खाते हैं. ठीक उसी तरह भगवान को भी खाना खाने में या भोग ग्रहण करने में इतना ही समय लगता है. भगवान को लगा भोग प्रसाद स्वरूप, जितने ज्यादा लोगों में बांटा जाता है. उतना ही ज्यादा फल मिलता है.
भोग के साथ मंत्र का करें जाप
भगवान को भोग लगाने की शुरुआत में ही 5 बार घंटी बजाएं. उन्हें भोग लगाते हुए मंत्र 'त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये. गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर' का जाप करें. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं. भोग प्रसाद ग्रहण करते हैं. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, भोग लगाते समय ध्यान रखें कि भगवान को चांदी, तांबे, पीतल, सोने या मिट्टी के बर्तन में ही भोग लगाएं. यह सभी शुद्ध होती हैं. एल्यूमिनियम, लोहा, स्टील, प्लास्टिक या कांच के बर्तन में भोग लगाने से बचें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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