डीएनए हिंदीः सनातन धर्म में कमल के फूल को बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. यही वजह है कि माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु और शिव जी के अलावा कमल का फूल और भी कई देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है. पुराणों के अनुसार कमल चार प्रकार के होते हैं, नीलकमल, ब्रह्म कमल, फेन कमल और कस्तूरबा कमल. इनमें से ब्रह्म कमल बहुत ही चमत्कारिक और दुर्लभ पौधा माना जाता है. ब्रह्म कमल (Brahma Kamal) से जुड़ी कई पौराणिक मान्यताएं हैं, ऐसा माना जाता है कि जिस कमल पर सृष्टि के रचयिता स्वयं ब्रह्मा जी विराजमान रहते हैं, यह वही ब्रह्म कमल है और इसी में से कि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई थी. ब्रह्म कमल (Brahma Kamal Significance) का उल्लेख कई पौराणिक कहानियों में भी मिलता है. आइए जानते हैं इस पौधे के बारे में...
ब्रह्मा जी से जुड़ा है ये पौधा
ब्रह्म कमल को स्वयं ब्रह्म देव का पुष्प माना जाता है. यह पुष्प बेहद अलौकिक है और इसका पौराणिक महत्व भी काफी है. इतना ही नहीं इस फूल के विषय में यह माना जाता है कि मनुष्य की इच्छाओं को पूर्ण करता है. यह कमल सफेद रंग का होता है जो दिखने में बहुत ही आकर्षक है. इसके अलावा ऐसा माना जाता है कि अगर ब्रह्म कमल भगवान शिव पर चढ़ाया जाए तो इससे वे तुरंत प्रसन्न होते हैं.
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क्या है धार्मिक महत्व
इस फूल को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और मान्यताओं के मुताबकि ब्रह्म कमल मां नंदा का प्रिय पुष्प है. ऐसे में इसे नंदा अष्टमी में तोड़ा जाता है. ब्रह्मकमल का अर्थ ही है 'ब्रह्मा का कमल'. कहते हैं कि केवल भग्यशाली लोग ही इस फूल को खिलते हुए देख पाते हैं. दरअसल जुलाई से सितंबर के बीच खिलने वाला यह फूल मध्य रात्रि में बंद हो जाता है. ऐसे में जो इसे खिलते हुए देख लेता है उसे सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है.
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वास्तु शास्त्र के अनुसार क्या है इसका महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, ब्रह्म कमल का पौधा सुख, सौभाग्य और समृद्धि को आकर्षित करता है और व्यक्ति के जीवन में मनोवैज्ञानिक संतुलन बनाए रखने में मददगार है. इसके अलावा इस फूल में मालिक को बुरी ताकतों से बचाने की शक्ति होती है. वास्तु नियमों के अनुसार, किसी को भी उपहार के रूप में ब्रह्म कमल को खरीदना, बेचना या उपयोग नहीं करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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