Ram Sita Vivah: कौन थे मंगल देव? जिन्होंने राम सीता विवाह में निभाया था भाई का फर्ज

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 25, 2022, 08:35 PM IST

श्री राम-सीता विवाह में मंगल देव ने निभाई थी ये रस्में

Ram Vivah: श्री राम-सीता विवाह के दौरान भाई की रस्में किसने निभाई थी, मंगल देव को कैसे मिली यह रस्म निभाने की अनुमति जानिए यहां.

डीएनए हिंदी : Ram Sita Ki Kahani- सनातन धर्म में विवाह के दौरान कई जरूरी रस्में निभाई जाती हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण रस्म भाई निभाता है. ऐसे में आपके मन में कई बार यह सवाल उठता होगा कि राम सीता विवाह के समय देवी सीता के भाई की रस्में किसने निभाई. आप में से कई लोगों को यह तो पता है कि उनकी 3 अन्य बहनें थीं और उनकी शादी में भी भाई ने ही रस्में निभाई थी, लेकिन रामायण में सीता के किसी भाई का जिक्र नहीं मिलता है. चलिए जानते हैं कि सीता के भाई कौन थे और किसने विवाह की रस्में निभाई.

श्री राम-सीता विवाह में मंगल देव ने निभाई थी ये रस्में

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, श्री राम और देवी सीता का विवाह देखने स्वयं ब्रह्मा, विष्णु एवं रूद्र ब्राह्मणों के वेश में आए थे. श्री राम के साथ साथ उनके तीनों भाइयों का विवाह एक साथ हुआ था. विवाह के दौरान मंत्रोच्चार चल रहा था और उसी बीच कन्या के भाई द्वारा की जाने वाली विधि निभाने का समय आया, इस रस्म में कन्या का भाई कन्या के आगे-आगे चलते हुए लावे का छिड़काव करता है,  सनातन धर्म में विवाह के दौरान ये परंपरा आज भी निभाई जाती है.

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ऐसे में इस रस्म को निभाने के लिए जब पुरोहित ने भाई को बुलाने को कहा तब ये विचार किया जाने लगा कि इस रस्म को कौन पूरा कर सकता है. पुत्री के विवाह में इस प्रकार विलम्ब होता देख पृथ्वी माता भी दुखी हो गईं. ऐसे में पृथ्वी माता के संकेत पर मंगल देव ने यह परंपरा निभाई. मंगल देव भी वेश बदलकर नवग्रहों सहित श्रीराम का विवाह देखने आए थे. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, देवी सीता का जन्म पृथ्वी से हुआ था और मंगल देव भी पृथ्वी माता के ही पुत्र थे. इस नाते मंगल देव देवी सीता के भाई भी लगते थे. ऐसे में पृथ्वी माता के संकेत पर वे इस विधि को पूर्ण करने के लिए आगे आए. 

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राजा जनक ने दी थी अनुमति

यह देख राजा जनक दुविधा में पड़ गए कि एक अनजान व्यक्ति, जिसका कुल, गोत्र एवं परिवार का कुछ आता पता ना हो, उसे कैसे देवी सीता के भाई के रूप में स्वीकार कर सकते हैं. ऐसे में उन्होंने मंगल से उनका परिचय, कुल एवं गोत्र पूछा. मंगलदेव ने मुस्कुराते हुए कहा मैं अकारण ही आपकी पुत्री के भाई का कर्तव्य पूर्ण करने को नहीं उठा हूं. उन्होंने कहा आपकी आशंका निराधार नहीं है, आप निश्चिंत रहें, मैं इस कार्य के सर्वथा योग्य हूं. अगर आपको कोई शंका है तो आप महर्षि वशिष्ठ एवं विश्वामित्र से इस विषय में पूछ सकते हैं. ऐसी में राजा जनक ने महर्षि वशिष्ठ एवं विश्वामित्र से इसके बारे में पूछा. उन्हें सब पता था उन्होंने राजा जनक को सब बताया, तब राजा जनक ने मंगल देव को इस रस्म को निभाने की आज्ञा दी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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