Budh Pradosh Vrat: भाद्रपद के अंतिम प्रदोष व्रत पर बन रहे ये शुभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और इसका महत्व

Written By नितिन शर्मा | Updated: Sep 25, 2023, 12:22 PM IST

साल के 12 महीनों में 24 प्रदोष व्रत होते हैं. इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस व्रत को रखने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. 

डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म में सावन के साथ ही भाद्रपद का महीना काफी खास माना जाता है. इस महीने की शुरुआत जन्माष्टमी के त्योहार से होती है. इसके बाद लगातार कई त्योहार मनाएं जाते हैं. भौम प्रदोष व्रत भी इन्हीं खास त्योहार और व्रतों में से एक है. हर माह में प्रदोष व्रत दो बार आता है. इस व्रत पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है. इसे भगवान प्रसन्न होते हैं. सभी कष्टों का निवारण करने के साथ ही कृपा करते हैं. इस व्रत को रखने से जीवन में आने वाले कष्ट अपने आप खत्म हो जाते हैं. इस बार भाद्रपद माह का आखिरी प्रदोष व्रत 27 सितंबर 2023 को बुधवार के दिन रखा जाएगा. आइए जानते हैं इस दिन पूजा करने की विधि, तिथि और शुभ संयोग और महत्व...

बुध प्रदोष व्रत की ये है तिथि और शुभ मुहूर्त

भाद्रपद माह में आखिरी प्रदोष व्रत 27 सितंबर 2023 को रखा जाएगा. व्रत की तिथि बुधवार की सुबह 1 बजकर 47 मिनट से रात 10 बजकर 20 मिनट तक रहेगी. व्रत 27 सितंबर को रखा जाएगा. इस दिन सुबह उठते ही भगवान शिव आराधना करने पर भी सभी रोग दोष और कष्ट दूर हो जाएंगे. महादेव सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करेंगे. प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त बुधवार शाम 5 बजकर 58 मिनट से लेकर 7 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना शुभ माना जाता है. 

यह है पूजा सामग्री

प्रदोष व्रत में महादेव और माता पार्वती की पूजा के लिए गंगाजल, धूप दीप, पूजा के बर्तन, देसी घी, मिष्ठान, भांग, धतूरा, कपूर, रोली, मौली, फल और मेवे भगवान शिव को चढ़ाये जाते हैं. इसके साथ ही भगवान की पूजा अर्चना करें. साथ ही मां पार्वती का पूर्ण श्रृंगार करें. इसे मां प्रसन्न होती हैं. सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं. 

प्रदोष व्रत की पूजा विधि 

प्रदोष व्रत के लिए सुबह उठकर स्नान करके साफ सुथरे कपड़े पहनें. भगवान शिव और माता पार्वती के लिए आसन तेयार कर उन्हें विराजमान करें. इसके बाद मंदिर में दीपक जलाएं और व्रत लेने का संकल्प लें. इसके साथ ही भगवान का साज श्रृंगार करें. भगवान को प्रिय सामग्री और फल चढ़ाएं. भगवान को पुष्प अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान शिव माता पार्वती और गणेश भगवान की आराधना करें. भगवान की आरती करने के बाद ओम नमः शिवाय का जाप करें.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर