Chaitra Navratri 2022: पांचवें दिन होती है कार्तिकेय की मां स्कंदमाता की पूजा, पढ़ें विधि और व्रत कथा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 06, 2022, 06:09 AM IST

संतान प्राप्ति के लिए स्ंकदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है. मां को अत्यंत दयालु माना जाता है.

डीएनए हिंदी: आज चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि यानी नवरात्र का पांचवां दिन है. इस दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता का पूजन होता है. धार्मिक मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों के हर दुख दूर हो जाते हैं. संतान प्राप्ति के लिए स्ंकदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है. मां को अत्यंत दयालु माना जाता है.

देवी स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. इनकी दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है. बाईं तरफ की ऊपरी भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा में भी कमल हैं. माता का वाहन शेर है. स्कंदमाता कमल के आसन पर भी विराजमान होती हैं. 

ऐसे करें देवी की पूजा (Chaitra Navratri 2022 Maa skandamata Puja Vidhi)

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देवी  स्कंदमाता का मंत्र (Maa skandamata Mantra)
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

मां स्कंदमाता की कथा (Chaitra Navratri 2022 Maa skandamata Vrat Katha) 
पौराणिक मान्यता के अनुसार, स्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है. स्कंदमाता कमल के पुष्प पर अभय मुद्रा में होती हैं. मां का रूप बहुत सुंदर है. उनके मुख पर तेज है. इनका वर्ण गौर है इसलिए इन्हें देवी गौरी भी कहा जाता है. भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. स्कंदमाता प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं की सेनापति थीं.

स्कंदमाता मां की आरती (Chaitra Navratri 2022 Maa skandamata Aarti)
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवा नाम तुम्हारा आता। 
सब के मन की जानन हारी। 
जग जननी सब की महतारी।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं।
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं। 
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा।
कही पहाड़ो पर हैं डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा। 
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाये तेरे भगत प्यारे। 
भगति अपनी मुझे दिला दो। 
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदी देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं। 
तुम ही खंडा हाथ उठाएं।
दासो को सदा बचाने आई। 
'चमन' की आस पुजाने आई।

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