Chaitra Navratri 2022: आखिरी दिन होती है मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा, पढ़ें विधि और व्रत कथा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 10, 2022, 06:08 AM IST

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है मां सिद्धिदात्री सभी कार्यों को सिद्ध करती हैं और मोक्ष की देवी मानी जाती हैं.

डीएनए हिंदी: आज चैत्र नवरात्रि का नौवां और आखिरी दिन (Last day of Chaitra Navratri) है. इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप (Maa siddhidatri) की पूजा अर्चना की जाती है. 

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 02 अप्रैल से हुई थी जिसका समापन आज 10 अप्रैल को हो रहा है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है मां सिद्धिदात्री सभी कार्यों को सिद्ध करती हैं और मोक्ष की देवी मानी जाती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां सिद्धिदात्री भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें बल-बुद्धि और धन प्रदान करती हैं.

ऐसे करें मां की पूजा (Chaitra Navratri 2022 Maa siddhidatri Puja Vidhi)

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मां सिद्धिदात्री का पूजा मंत्र (Maa siddhidatri Mantra)
"ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:" 

या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

मां सिद्धिदात्री की कथा (Chaitra Navratri 2022 Maa siddhidatri Vrat Katha)
देवी पुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान शंकर ने भी इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था. ये कमल पर आसीन हैं और केवल मानव ही नहीं बल्कि सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवता और असुर सभी इनकी आराधना करते हैं. संसार में सभी वस्तुओं को सहज और सुलभता से प्राप्त करने के लिए नवरात्र के नवें दिन इनकी पूजा की जाती है. भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं. इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था. इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए. इस देवी का पूजन, ध्यान, स्मरण हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हैं और अमृत पद की ओर ले जाते हैं.

मां की आरती (Chaitra Navratri 2022 Maa siddhidatri Aarti)
जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता 

तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता 

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि 

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि 

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम 

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम 

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है 

तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है 

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो 

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो 

तू सब काज उसके करती है पूरे 

कभी काम उसके रहे ना अधूरे 

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया 

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया 

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली 

जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली 

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा 

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा 

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता 

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता

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