Chaitra Navratri 2022: संध्या आरती से पहले जानिए उन 7 देवी मंदिरों के बारे में जहां पूरी होती है हर मनोकामना

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 04, 2022, 04:20 PM IST

हम आपको बताने जा रहे हैं देवी के उन 7 धामों के बारे में जहां जाकर आप भी अपनी मुरादों की झोली भर सकते हैं. 

डीएनए हिंदी: वैसे तो देवी मां के दर्शन के लिए किसी दिन विशेष की जरूरत नहीं होती बस श्रद्धा चाहिए लेकिन नवरात्रि को खास माना गया है. माना जाता है कि इन दिनों में मां के दर्शन और पूजन से विशेष फल मिलता है. ऐसे में अगर आप भी इस नवरात्रि माता रानी के दर्शन का मन बना रहे हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं देवी के 7 धामों के बारे में जहां जाकर आप भी अपनी मुरादों की झोली भर सकते हैं. 

माता वैष्णो देवी, जम्मू कटरा


जम्मू में स्थित त्रिकूट पर्वत पर मां वैष्णो का निवास है. कहा जाता है कि मां के दर्शन का सौभाग्य केवल उन्हीं भक्तों को मिलता है जिन्हें स्वंय मां का बुलावा आता है. वहीं यूं तो साल भर मां के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रि के समय यहां की रौनक देखते ही बनती है. कहते हैं कि नवरात्रि के पावन पर्व पर जो लोग मां वैष्णो देवी के मंदिर के दर्शन करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है. देवी काली, देवी सरस्वती और देवी लक्ष्मी यहां पिंडी के रूप में  विराजमान हैं. 

माता चामुण्डा देवी, हिमाचल प्रदेश


देवों की भूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में करीब 2,000 हजार से ज्यादा मंदिर हैं. इन्हीं में से एक है चामुण्डा देवी मंदिर. यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से मां के आगे सिर झुकाता है, मैया उसके जीवन के हर दुखों को हर लेती हैं. चामुण्डा देवी मंदिर को चामुण्डा नंदीकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है. 

मां ब्रजेश्वरी कांगड़ा वाली


मां बज्रेश्वरी का मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है. मंदिर के गर्भ गृह में मां पिंडी रूप में दुर्गा के स्वरूप में विराजमान हैं. मां बज्रेश्वरी देवी के मंदिर को नगरकोट धाम व कांगड़ा देवी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस स्थान पर सती का बायां वक्षस्थल गिरा था जिसके बाद महाभारत काल में पांडवों ने यहां मां के मंदिर का निर्माण करवाया था. 

मां ज्वालामुखी देवी, हिमाचल प्रदेश


ज्वाला मंदिर को जोता वाली मां का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है. यह मंदिर माता के अन्य मंदिरों की तुलना में अनोखा है क्योंकि यहां किसी मूर्ति की नहीं बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा होती है. 51 शक्तिपीठ में से एक इस मंदिर की महिमा निराली है. वैज्ञानिक भी इस ज्वाला के लगातार जलने का कारण नहीं जान पाए हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां देवी सती की जीभ गिरी थी. यहां पर पृथ्वी के गर्भ से 9 अलग-अलग जगह से ज्वालाएं निकल रही हैं जिसके ऊपर ही मंदिर बना दिया गया है. इन 9 ज्योतियों को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है.

मां चिंतपूर्णी, ऊना 


चिंतपूर्णी अर्थात चिन्ता को दूर करने वाली. चिंतपूर्णी धाम हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में स्थित है. कहा जाता है कि यहां माता सती के चरण गिरे थे. चिंतपूर्णी देवी की खोज भक्त माई दास ने की थी. माई दास पटियाला रियासत के अठरनामी गांव के निवासी थे. वे मां के अनन्य भक्त थे. उनकी चिंता का निवारण माता ने सपने में आकर किया था. माता को छिन्नमस्तिका देवी के नाम से भी जाना जाता है.

मां नैना देवी, बिलासपुर


नैना देवी माता का मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में स्थित है. इस स्थान पर माता सती के दोनों नेत्र गिरे थे. मंदिर में माता भगवती नैना देवी के दर्शन पिंडी के रूप में होते हैं. नवरात्र में यहां विशाल मेला लगता है. लाखों भक्त यहां आकर मां के दर्शन करते हैं व अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं. 

मां मनसा देवी, पंचकूला


मनसा देवी मंदिर चंडीगढ़ से 10 किलोमीटर और हरियाणा के पंचकूला से 4 किलोमीटर दूर है. शक्ति की देवी मां मनसा के बारे में कहा जाता है कि यहां आकर जो भी 40 दिनों तक लगातार पूजा-अर्चना करता है या मां का आशीर्वाद लेता है, मां उसके हर कष्टों को हर लेती हैं. पंचकूला की शिवालिक पहाड़ी पर सती के सिर का हिस्सा गिरा था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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