Chaitra Navratri 2023: रोग पंचक में होगी चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, जानें पंचक में कैसे करें कलश स्थापना

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 16, 2023, 12:31 PM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च को हो रही है इससे पहले रविवार, 19 मार्च को पंचक लग रहे हैं.

डीएनए हिंदी: इस वर्ष चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) की शुरूआत रोग पंचक में हो रही है. दरअसल, चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) की शुरूआत चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को होती है. इस बार नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च को हो रही है इससे पहले रविवार, 19 मार्च को पंचक (Panchak 2023) लग रहे हैं. रविवार को लगने वाले पंचक को रोग पंचक (Rog Panchak) कहते हैं. नवरात्रि (Navratri 2023) के पहले दिन कलश स्थापना (Kalash Sthapana) की जाती है. हालांकि पंचक के दौरान पूजा-पाठ और शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है. तो चलिए ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मजूमदार से नवरात्रि पर कलश स्थापना (Kalash Sthapana) के बारे में जानते हैं.

पंचक में नहीं होती है कलश स्थापना पर रोक
पंचक को अशुभ माना जाता है और इस दौरान पूजा-पाठ संबंधित आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. हालांकि पंचक के दौरान आप कलश स्थापना कर सकते हैं. पंचक में आप हर साल की तरह ही विधिवत तरीके से कलश स्थापना कर सकते हैं. हालांकि पंचक में कई कार्यों की मनाही होती है. जैसे दक्षिण दिशा में यात्रा करने, छत बनवाने और चारपाई बनवाने पर रोक होती है.

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कलश स्थापना शुभ मुहूर्त (Kalash Sthapana Shubh Muhurat)
चैत्र नवरात्रि पर कलश स्थापना के लिए 22 मार्च को सुबह 6 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक का समय शुभ है. कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त को शुभ माना जाता है लेकिन इस दिन दोपहर का अभिजीत मुहूर्त प्राप्त नहीं हो रहा है. ऐसे में सुबह के समय कलश स्थापना करना ही शुभ रहेगा.

कलश स्थापना के साथ बोए जाते हैं जौ
नवरात्रि पर कलश स्थापना के साथ जौ भी बोए जाते हैं. ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि हिंदू धार्मिक ग्रंथों में सृष्टि की शुरूआत के बाद पहली फसल जौ ही मानी जाती है. भक्त नौ दिनों तक जौ की वृद्धि के आधार पर शुभ अशुभ के संकेत समझते हैं. जौ का हरा भरा होना सुख-समृद्धि के संकेत देता है जबकि उनका सूखना अशुभ संकेत देता है.

चैत्र नवरात्रि पर लग रहा है राहु काल (Rahu Kaal On Chaitra Navratri)
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन दोपहर को 12 बजकर 28 मिनट से लेकर 1 बजकर 59 मिनट तक राहुकाल है. राहु काल को अशुभ मुहूर्त माना जाता है. ऐसे में यह समय मां दुर्गा की पूजा और कलश स्थापना के लिए उचित नहीं है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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