Chaitra Navratri 2024 Puja Vidhi Or Aarti: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना का विधान है. इस दिन कलश स्थापना करने के बाद माता की पूजा अर्चना, मंत्र और आरती (Maa Shailputri Mantra And Aarti) करने से मां शैलपुत्री का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इससे भक्त की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं. इसके बाद नवरात्रि के अलग अलग दिन माता के अन्य रूपों की पूजा अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि पर मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना (Shailputri Puja Aarchana) की विधि से लेकर उनका शक्तिशाली मंत्र और शैलपुत्री की आरती...
मां शैलपुत्री की पूजा विधि Maa Shailputri Ki Puja Vidhi
नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा (Maa Durga) के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है. माता शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री बताया जाता है. शास्त्रों के अनुसार, मां शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा व उपासना करने से मान मान सम्मान में वृद्धि होती है. उत्तम स्वास्थ के साथ ही सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन सफेद कपड़े पहनकर माता को सफेद पुष्प और सफेद चीज जैसे खीर या फिर राजभोग का भोग लगाएं. इससे माता रानी प्रसन्न होने के साथ ही मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं.
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यह है मां शैलपुत्री की आरती Maa Shailputri Aarti
शैलपुत्री मां बैल असवार. करें देवता जय जयकार.
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी
पार्वती तू उमा कहलावे. जो तुझे सिमरे सो सुख पावे..
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू. दया करे धनवान करे तू..
सोमवार को शिव संग प्यारी. आरती तेरी जिसने उतारी..
उसकी सगरी आस पुजा दो. सगरे दुख तकलीफ मिला दो..
घी का सुंदर दीप जला के. गोला गरी का भोग लगा के..
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं. प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं...
जय गिरिराज किशोरी अंबे. शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे..
मनोकामना पूर्ण कर दो. भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो...
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शैलपुत्री पूजा मंत्र Shailputri Puja Mantra
नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा करते समय नीचे दिए गए बीज मंत्रों का जाप अवश्य करें...
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
शिवरूपा वृष वहिनी हिमकन्या शुभंगिनी
पद्म त्रिशूल हस्त धारिणी
रत्नयुक्त कल्याणकारिणी
ओम् ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:
बीज मंत्र- ह्रीं शिवायै नम:
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्
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