Chaitra Navratri 2024: जानिए कैसे हुई थी नवरात्रि व्रत की शुरुआत, त्रेतायुग में इस राजा ने सबसे पहले रखें थे 9 दिन तक व्रत

नितिन शर्मा | Updated:Mar 31, 2024, 03:05 PM IST

इस साल चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2024) की शुरुआत 9 अप्रैल से होगी. हिंदू नववर्ष के साथ नवरात्रि व्रत (Navratr Vrat) रखे जाएंगे. इसमें माता की पूजा अर्चना की जाएगी. हिदू धर्म में नवरात्रि व्रतों का बड़ा महत्व है. आइए जानते हैं आखिरी इनकी कब और कैसे शुरुआत हुई.

नवरात्रि में माता दुर्गा (Navratri Vrat And Puja) के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. साल में कुल चार नवरात्रि आते हैं. इनमें दो गुप्त एक चैत्र और दूसरे शारदीय नवरात्रि होते हैं. गुप्त नवरात्रि सिद्ध्यिां प्राप्त करने के लिए होती हैं. इनमें गुप्त तरीके से पूजा अर्चना और व्रत किये जाते हैं. वहीं गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग चैत्र और शारदीय नवरात्रि व्रत में माता की चौकी रखने के साथ ही पूजा अर्चना और व्रत करते हैं. माता की पूजा अर्चना से लेकर नौ दिनों तक व्रत विधान सदियों से चला आ रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि की शुरुआत कब और कैसे हुई थी. सबसे पहले मां दुर्गा के नौ दिन यानी नवरात्रि व्रत (Navratr Vrat) किसने किये थे.  आइए जानते हैं ...

ऐसे हुई थी दुर्गा के नवरात्रि की शुरुआत

माता दुर्गा सभी नौ देवी शक्तियों का स्वरूप हैं. नौ दिनों में सबसे पहले माता दुर्गा और इसके अगले नौ दिनों तक माता के एक एक स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है. इनमें लोग माता की कलश स्थापना कर उन्हें घर में विराजमान करते हैं. इसके बाद पूजा अर्चना की जाती है. माता के नवरात्रि की शुरुआत त्रेतायुग में भगवान श्रीराम से हुई थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रीराम ने रावण से युद्ध करने से पूर्व माता से आध्यात्मिक बल और विजय की कामना की थी. वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम ने किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर चढ़ाई से पहले माता दुर्गा की उपासना की थी.

खुद ब्रह्मा जी ने श्रीराम को दिया था ये सुझाव

नौ दिनों तक माता की उपासना करने का सुझाव ब्रह्मा जी ने विष्णु के अवतार भगवान श्रीराम को दिया था. इस पर श्रीराम ने युद्ध से पहले माता दुर्गा के स्वरूप चंडी देवी की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक पूजा की. ब्रह्मा जी ने बताया कि पूजा सफल तभी होगी, जब चंडी पूजा और हवन के बाद 108 नील कमल माता को अर्पित किये जाएंगे. इसका पता रावण को लग गया. उसने पूजा विघ्न डालने के लिए एक नील कमल को गायब कर दिया. 

भगवान श्रीराम ने अपनी आंख पर लगाया निशाना

भगवान राम ने नौ दिनों तक अन्न और जल त्याग की माता की पूजा अर्चना और तप किया. उन्होंने माता को पुष्प चढ़ाये तो नौ में से एक कमल कम निकला. यह देखकर भगवान चिंतित हो उठे. उन्होंने कमल की तलाश की, जब श्रीराम को कमल नहीं मिला तो उन्होंने उसकी जगह मां चंडी को अपनी एक आंख अर्पित करने का फैसला लिया. भगवान श्रीराम ने अपनी आंख निकालने के तीर का निशाना लगाया. तभी मां चंडी प्रसन्न होकर प्रकट हो गई. माता भक्ति से प्रसन्न हुई और श्रीराम को विजय होने का आशीर्वाद दिया. 

तभी से हुई नवरात्रि की शुरुआत

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम के माता के नौ दिनों तक अन्न जल त्यागकर उनकी पूजा अर्चना, व्रत और तपस्या के बाद विजय होने का आशीर्वाद प्राप्त होगा. भगवान रावण को मौत के घाट उतार दिया. इसी के बाद से श्रीराम द्वारा नौ दिनों तक रखे गये व्रत को नवरात्रि कहा जाने लगा. संसार में लोग माता को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि का व्रत करने लगे. भगवान श्रीराम नवरात्रि के 9 दिनों तक व्रत रखने वाले पहले राजा और धरती पर पहले मनुष्य थे. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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