Chaitra Navratri 2022: दूसरे दिन होती है माता ब्रह्मचारिणी की पूजा, यहां पढ़ें विधि और व्रत कथा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 03, 2022, 07:48 AM IST

माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है.

डीएनए हिंदीः नवरात्रि के दूसरे दिन नवदुर्गा के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. माता के नाम का अर्थ तपस्या का आचरण करने वाली है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति के हर बिगड़े काम बन जाते हैं. मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं. माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा- विधि, मंत्र, आरती, भोग और कथा...

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि (Chaitra Navratri 2022 Maa Brahmacharini Puja Vidhi)

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माता ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा (Maa Brahmacharini Vrat Katha)

मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था. नारदजी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया ताकि वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त कर सकें. यही वजह है कि उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी पड़ा. भगवान शिव की आराधना के दौरान माता ने 1,000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए तथा 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं. कठोर तप से उनका शरीर क्षीण हो गया. मां का तप देखकर सभी देवता, ऋषि-मुनि भी अत्यंत प्रभावित हुए. देवताओं ने मां को आशीर्वाद देते हुए कहा कि आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी. भगवान शिव आपको पति स्वरूप में प्राप्त होंगे. 

मां ब्रह्मचारिणी ध्यान मंत्रः (Mata Brahmacharini Mantra)
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।

जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥ 

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।

धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।

पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

ब्रह्मचारिणी की आरती (Chaitra Navratri 2022 Maa Brahmacharini Aarti)
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

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