Chaitra Navratri 2022: सातवें दिन होती है माता कालरात्रि की पूजा, पढ़ें विधि और व्रत कथा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 08, 2022, 06:05 AM IST

मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

डीएनए हिंदी: आज चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि यानी नवरात्र का सातवां दिन हैं. इस दिन शक्ति के रूप मां दुर्गा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, चंडी आदि नामों से भी जाना जाता है. मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन में आने वाली सभी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं.

ऐसे करें देवी की पूजा (Chaitra Navratri 2022 Maa kaalratri Puja Vidhi)

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देवी कालरात्रि का मंत्र (Maa kaalratri Mantra)
ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां की कथा (Chaitra Navratri 2022 Maa kaalratri Vrat Katha) 
देवी भागवत पुराण (Bhagwat puran) के अनुसार, मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है, सिर के बाल बिखरे हुए हैं, गले में बिजली की तरह चमकने वाली एक माला है. मां के तीन नेत्र हैं जो ब्रह्मांड की तरह बिल्कुल गोल और विशाल हैं. मां की चार भुजाएं हैं जिसमें एक हाथ में उन्होंने तलवार, दूसरे में लौह अस्त्र, तीसरा हाथ अभय मुद्रा में और चौथा वरमुद्रा में है. मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ है. ऐसी मान्यता है कि मां अपने इस स्वरूप में भक्तों को अकाल मृत्यु से बचाती हैं. 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, दुर्गासुर नामक राक्षस कैलाश पर्वत पर देवी पार्वती की अनुपस्थिति में हमला करने की कोशिश कर रहा था. उससे निपटने के लिए देवी पार्वती ने कालरात्रि को भेजा लेकिन वह राक्षस लगातार विशालकाय होता जा रहा था. तब देवी ने अपने आप को और भी अधिक शक्तिशाली बनाया और शस्त्रों से सुसज्जित हुईं. उसके बाद उन्होंने दुर्गासुर को मार गिराया. इसी कारण उन्हें दुर्गा कहा गया.

मां कालरात्रि की आरती (Chaitra Navratri 2022 Maa kaalratri Aarti)
काल के मुंह से बचाने वाली

दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा

महा चंडी तेरा अवतारा

पृथ्वी और आकाश पर सारा

महाकाली है तेरा पसारा

खंडा खप्पर रखने वाली

दुष्टों का लहू चखने वाली

कलकत्ता स्थान तुम्हारा

सब जगह देखूं तेरा नजारा

सभी देवता सब नर नारी

गावे स्तुति सभी तुम्हारी

रक्तदंता और अन्नपूर्णा

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी

ना कोई गम ना संकट भारी

उस पर कभी कष्ट ना आवे

महाकाली मां जिसे बचावे

तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह

कालरात्रि मां तेरी जय

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