Navratri 4th Day: नवरात्र के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना, जानें मां का भोग-मंत्र-आरती और शुभ समय

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 25, 2023, 05:59 AM IST

चैत्र नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है, देवी की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती का शुभ समय जान लें

डीएनए हिंदी: चैत्र नवरात्रि का आज चौथे दिन है. इस दिन माता के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता कूष्मांडा ने ही पूरे ब्रहांड की रचना की थी. माता कूष्मांडा को सृष्टि, स्वरूप और आदिशक्ति माना जाता है. माता कूष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर ही लोक में निवास करती हैं. मां के शरीर की कांति भी सूर्य के समान है. इनका तेज प्रकाश से सभी दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं. मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है. माता के सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा रहता है. मां सिंह का सवारी करती हैं.

मां कूष्मांडा की पूजा विधि

मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना के लिए सबसे पहले स्नान कर साफ वस्त्र धारण कर लें. इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान कर उनको धूप, गंध, अक्षत, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल और सूखे मेवे अर्पित करें. मां कूष्मांडा को हलवा और दही अति प्रिय होती है. इनका भोग देना माता को प्रसन्न करता है. इस भोग को प्रसाद के  रूप में ले सकते हैं. इसके बाद मां की ध्यान करें. 

देवी कूष्मांडा का मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिताण्
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमरू

चौथे दिन की पूजा का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 मार्च को दोपहर 03 बजकर 29 मिनट पर शुरू समापन 25 मार्च दोपहर 02 बजकर 53 मिनट पर रहेगी. वहीं शुभ योग की शुरुआत अर्थात रवि योग का निर्माण हो रहा है. आज रवि योग सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 11 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि में मां कुष्मांडा की उपासना करने से पूजा का विशेष फल मिलता है.

ये है माता का ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्ण्
सिंहरूढाअष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वनीम्॥
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव चण्
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥


वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्ण्
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

दृ दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्ण्
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

दृ जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्ण्
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥


मां कूष्मांडा की आरती 

चौथा जब नवरात्र होए कूष्मांडा को ध्याते।
जिसने रचा ब्रह्मांड यहए पूजन है

आद्य शक्ति कहते जिन्हेंए अष्टभुजी है रूप।
इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप॥

कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।
पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार॥

क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।
उसको रखती दूर मांए पीड़ा देती अपार॥
सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए।
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥

नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां
नवरात्रों की मां कृपा करदो मां॥

जय मां कूष्मांडा मैया।

जय मां कूष्मांडा मैया॥

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